महाराष्ट्र

मुद्रांक शुल्क के नाम पर नागरिकों से 3900 करोड की लूट

 100 रूपये के 39 करोड स्टैम्प पेपर बेवजह भरवाये गये

  •  100 रूपये का मुद्रांक माफ करने के बावजूद भी नागरिकों पर नाहक बोझ

  •  सूचना अधिकार के तहत वर्ष 2004 से 2020 के आंकडे उजागर

  •  100 रूपये का स्टैम्प अनिवार्य नहीं रहने के आदेश पर अमल हेतु हाईकोर्ट में जनहित याचिका

  •  राज्य सरकार सहित पंजीयन महानिरीक्षक व मुद्रांक नियंत्रक को नोटीस

औरंगाबाद/दि.25 – फसल कर्ज, विद्युत कनेक्शन, जाति प्रमाणपत्र तथा चुनावी हलफनामे जैसे कामों के लिए 100 रूपये के स्टैम्प पेपर का ‘नैवेद्य’ सभी को चढाना ही पडता है, जबकि हकीकत यह है कि, 17 वर्ष पहले ही 100 रूपये का मुद्रांक शुल्क माफ कर दिया गया है. लेकिन इसके बावजूद विभिन्न सरकारी विभागों ने वर्ष 2004 से 2020 के दौरान 100 रूपये के मुद्रांक शुल्क की सख्ती करते हुए 3 करोड 6 लाख 78 हजार स्टैम्प पेपर सर्वसामान्य नागरिकों से लिये. इस जरिये सीधे-सीधे 3906 करोड रूपयों की लूट हुई है.
विधि स्नातक के विद्यार्थी भूषण महाजन ने सूचना अधिकार के तहत जानकारी प्राप्त करते हुए इस आर्थिक लूट को उजागर किया है. साथ ही 100 रूपये का स्टैम्प पेपर बंधनकारक नहीं रहनेवाले आदेश पर कडाई से अमल होने हेतु महाजन ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी दाखिल की है. जिसमें राज्य सरकार, प्रधान सचिव, राजस्व सचिव, अप्पर मुद्रांक नियंत्रक (मुंबई), पंजीयन महानिरीक्षक व मुद्रांक नियंत्रक (पुणे) को इस याचिका में प्रतिवादी बनाया गया है. न्या. एस. वी. गंगापुरवाला व न्या. एम. जी. शेवलीकर की खंडपीठ के समक्ष इस याचिका पर सुनवाई हुई और सभी प्रतिवादियों को नोटीस जारी की गई. साथ ही इस याचिका पर छह सप्ताह पश्चात सुनवाई होगी. याचिकाकर्ता की ओर से एड. प्रज्ञा तलेकर व एड. अजिंक्य काले ने पैरवी की. वहीं सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील ज्ञानेश्वर काले ने अपना पक्ष रखा.

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