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फायदे का झांसा दिखाकर 4 करोड गडप, फिर गुमशुदगी का नाटक

दो माह से लापता रहने वाले शिवम गजानन देशमुख को लेकर सामने आयी नई जानकारी

* नौ निवेशकों ने राजापेठ थाने व सीपी ऑफिस पहुंचकर दर्ज कराई शिकायत
* सरकारी टेंडर मिलने के नाम पर झांसेबाजी होने का लगाया आरोप
* अन्य कई निवेशकों के नाम भी बताये, पुलिस ने शुरु की जांच
अमरावती/दि.20 – विगत 9 दिसंबर को स्थानीय सावलंबी नगर परिसर में रहने वाला शिवम गजानन देशमुख नामक 30 वर्षीय युवक अचानक लापता हो गया था. जिसकी गुमशुदगी को लेकर उसके खिलाफ गजानन देशमुख ने गाडगे नगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के साथ ही शहर के एक अखबार में विज्ञापन भी प्रकाशित किया था. जिसमें कहा गया था कि, निजी साहुकारों द्वारा दी जाने वाली तकलीफ से तंग आकर शिवम देशमुख मुंबई जाने की बात कहते हुए घर छोडकर चला गया है. परंतु अब करीब डेढ माह बाद गुमशुदगी के इस मामले में एक ऐसी जानकारी सामने आयी है, जिसे सुनकर पुलिस भी भौंचक रह गई है. अब सामने आयी जानकारी के मुताबिक नमूना की गली नं-4 में किसी समय प्रतोश प्रिंटर्स नामक छापखाना चलाने वाले शिवम देशमुख ने अमरावती शहर के करीब 10 से 12 लोगों को जमकर चूना लगाते हुए लगभग सवा 4 करोड रुपए ‘छाप डाले’ और इस रकम की अदायगी से बचने हेतु वह ‘अंडर ग्राउंड’ हो गया. जिससे उसके परिवार द्वारा गुमशुदगी बताया जा रहा है. इस मामले में शिवम के बहकावे मेें आकर उसके पास करीब 4 करोड 23 लाख रुपए की रकम का निवेश करने वाले नौ निवेशकों ने राजापेठ पुलिस थाने सहित शहर पुलिस आयुक्तालय पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई है. जिसके जरिए गुमशुदगी के मामले से जुडा यह नया पहलू सामने आ रहा है.
इस संदर्भ में निवेशकों द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक खुद को शहर भाजपा का एक जिम्मेदार पदाधिकारी बताने वाले गजानन देशमुख के बेटे शिवम देशमुख द्वारा नमुना गली परिसर में प्रतोश प्रिंटर्स नामक छापखाना चलाया जाता था. साथ ही शिवम देशमुख ने अपने कई जान-पहचान वाले लोगों के सामने यह दावा करना शुरु कर दिया था कि, उसे अमरावती सहित अकोला, यवतमाल, वाशिम व बुलढाणा के सामाजिक न्याय व विशेष सहाय्य विभाग, एकात्मिक बालविकास प्रकल्प तथा जिला सामान्य अस्पतालों सहित जिलाधीश कार्यालयों के कुछ विभागों से बडे पैमाने पर काम के टेंडर मिले है. लेकिन उसके पास इन टेंडरों का काम पूरा करने के लिए पैसा नहीं है. ऐसे में यदि कोई उसके साथ इस प्रोजेक्ट में पैसा लगाता है, तो वह उसे फायदे में हिस्सा देने के साथ ही अच्छा खासा रिटर्न भी देगा. अपने इस दावे पर लोगों को भरोसा हो, इसके लिए शिवम देशमुख ने अलग-अलग सरकारी महकमों के लेटर हेड पर प्रतोश प्रिंटर्स के नाम से छपे टेंडर संबंधी आदेश पत्र भी दिखाये. जिसे देखकर सहज ही यह भरोसा होना स्वभाविक था कि, शिवम देशमुख को सच में उन सरकारी महकमों से छपाई के काम का टेंडर मिला है. अपनी यही कहानी सुना-सुनाकर शिवम देशमुख ने उसकी जान-पहचान में रहने वाले करीब 10 से 12 लोगों से लगभग सवा 4 करोड रुपए की रकम ली. लेकिन जब उन लोगों ने अपनी रकम सहित अपने निवेश की एवज में हिस्सा व फायदा मांगना शुरु किया, तो शिवम देशमुख ने टालमटोल करनी शुरु कर दी. साथ ही जब निवेशकों ने अपनी रकम वापसी के लिए दबाव बनाना शुरु किया, तो शिवम देशमुख ‘अंडर ग्राउंड’ हो गया.

* किसने किया था कितना निवेश?
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल के हाथ लगी जानकारी के मुताबिक शिवम देशमुख द्वारा दिये गये झांसे में आकर प्रतिक ठाकरे ने 2 करोड 10 लाख रुपए, चंद्रशेखर पिंपले ने 1 करोड 23 लाख रुपए, अजय शिरभाते ने 53 लाख रुपए, संजू हिंगासपुरे ने 25 लाख रुपए, संजय ठाकरे ने 12 लाख रुपए, सूरज साहू ने 10 लाख रुपए, अमोल ढगे ने साढे 3 लाख रुपए तथा सचिन महात्मे ने 77 हजार रुपए का फायदा मिलने की लालच में निवेश किया था.

* एक नंबर का पैसा वापिस, दो नंबर का पैसा ‘पच्चम’
इस संदर्भ में दैनिक अमरावती मंडल द्वारा की गई पडताल में पता चला कि, शिवम देशमुख द्वारा लोगों से एक नंबर के साथ-साथ दो नंबर में भी पैसे लिये जाते थे. जिसके तहत एक नंबर वाला पैसा शिवम देशमुख चेक के जरिए लिया करता था और ऐसे निवेशकों को चेक के जरिए भी हर महिने ब्याज व फायदे का भुगतान करता था. साथ ही एक नंबर वाले ज्यादातर निवेशकों का पैसा वह चेक के जरिए वापिस भी लौटा चुका था. लेकिन दो नंबर के तहत नगद में ली गई रकम की कही कोई लिखा-पढी और हिसाब-किताब ही नहीं थे और इसी रकम को शिवम देशमुख ने एक तरह से ‘पच्चम’ कर लिया है.

* ‘वे’ सभी टेंडर ऑर्डर संदेहास्पद
इस संदर्भ में सबसे उल्लेखनीय यह भी है कि, अपनी जान-पहचान के लोगों को अपनी बातों में फांसने के लिए शिवम देशमुख ने जिन टेंडर ऑर्डर की कॉपी दिखाई थी, उन सभी दस्तावेजों को ध्यान से देखने पर उनमें रहने वाला ‘झोल’ समझमें आता है. क्योंकि ज्यादातर टेंडर की ऑर्डर कॉपी में टेंडर संबंधित लिखे गये ब्यौरे के फॉन्ट अलग दिखाई देते है. साथ ही प्रतोश कम्प्यूटर का नाम अलग फॉन्ट में दिखाई देता है. इसके अलावा वर्ष 2022 से वर्ष 2023 के दौरान वाली तारीख रहने वाले कई टेंडर ऑर्डर लगभग एक ही तरह के है और उनमें केवल तारीखों का ही फर्क है. जिसे देखने पर संदेह की गुंजाइश बनती है. परंतु यह फर्क पहली बार देखने पर ध्यान में नहीं आता. बल्कि अब जब शिवम देशुमख लापता हो गया है, तो उसके बाद उसके निवेशकों ने जब उसके द्वारा दी गई टेंडर ऑर्डर की कॉपी को ध्यान से देखा, तो उनमें रहने वाले ‘झोल’ की ओर नजर गई.

* कई निवेशक सामने आने से भी कतरा रहे
कई निवेशकों ने अपने पास रहने वाला दो नंबर का पैसा शिवम देशमुख के कथित प्रोजेक्ट में निवेश करने हेतु दिया था. जिसकी कही कोई वैध लिखा-पढी नहीं है. ऐसे में अब वे निवेशक अपने साथ हुई ठगी व जालसाजी की शिकायत करने से भी कतरा रहे है. क्योंकि यदि वे इसकी शिकायत करते है, तो उस स्थिति में उन्हें अपने पैसों का वैध स्त्रोत बताना होगा, जो उनके लिए काफी मुश्किल वाली बात रहेगी. यहीं वजह है कि, अपने लाखों रुपए डूब जाने के बाद भी कई निवेशक शिवम देशमुख के खिलाफ शिकायत देने हेतु आगे नहीं आ रहे.

* पिता ने दर्ज कराई थी पुलिस में शिकायत, अखबार में दिया था विज्ञापन
शिवम देशमुख की शिकायत गजानन देशमुख ने विगत 9 दिसंबर 2023 को गाडगे नगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया था कि, उनका बेटा शिवम देशमुख 9 दिसंबर को मंबई जाने की बात कहकर घर से निकला था. लेकिन वह अचानक लापता हो गया है. साथ ही गजानन देशमुख ने पुलिस को यह भी बताया था कि, शिवम देशमुख ने कुछ निजी साहुकारों से कर्जा ले रखा था. जिसकी वसूली के लिए निजी साहुकारों द्वारा बार-बार लगाये जाने वाले तगादे से तंग आ चुका था और शायद इसी वजह से वह घर छोडकर कही चला गया है. पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के साथ ही गजानन देशमुख ने इसी ब्यौरे के साथ शहर के एक अखबार में विज्ञापन भी प्रकाशित करवाया था.

* पत्नी ने भी थाने में दर्ज कराई शिकायत, निजी साहुकारी वाली बात कही
वहीं इस बीच शिवम की पत्नी ने विगत 15 जनवरी को सिटी कोतवाली पुलिस थाने में पहुंंचकर शिकायत दर्ज कराई कि, उसके पति शिवम गजानन देशमुख, (उम्र 34 साल, शिवमंदिर पास कठोरा रोड) उनकी प्रिंटींग प्रेस है और अभी यह भी मालूम पडा है कि, वे किसी प्रिंटींग पे्रस में भी काम करते है. इसके अलावा यह जानकारी भी मिली है कि, उसके पति का 7-8 अवैध साहुकारों से व्यवहार हुआ है और यह सभी 7-8 लोग उसके पति को परेशान करने के साथ ही जान से मार देने की धमकी भी दे रहे है. जिसकी वजह से उसके पति ने आत्महत्या करने की मानसिकता बना ली थी. इसके अलावा इन 7-8 साहुकारों ने नमूना गली की प्रिंटींग प्रेस में घुसकर तोडफोड भी की और जान से मार डालेंगे, ऐसा बोला था. जिससे परेशान होकर उसका पति शिवम देशमुख विगत 8 दिसंबर को किसी को भी कुछ भी बताए बिना घर से चला गया, जो अब तक घर नहीं लौटा.

* आर्थिक अपराध शाखा करेंगी मामले की जांच
– सीपी रेड्डी ने दी जानकारी
वहीं इस संदर्भ में जब जानकारी हेतु शहर पुलिस आयुक्त नवीनचंद्र रेड्डी से संपर्क किया गया, तो उन्होंने बताया कि, जिन-जिन लोगों के साथ धोखाधडी हुई है, उन सभी लोगों को आज सामाजिक कार्यकर्ता संजय तिरथकर अपने साथ लेकर उनसे मिलाने हेतु आये थे तथा सभी लोगों ने उनके पास अपनी शिकायत दर्ज कराई है. जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई है.

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