महाराष्ट्र

पांच साल में 41 बाघों का शिकार

राज्य की बढती घटनाओं के कारण चिंता भी बढी

* 75 तेंदूए भी हुए निशाना
चंद्रपुर/दि.28– बाघों की संख्या बढोत्तरी के समाधानकारक आंकडे सामने आते रहे, तो भी शिकारी की घटनाएं चिंता का विषय बन गई है. राज्य में केवल 5 साल में 41 बाघों का शिकार किया गया. शिकारियों ने 55 तेंदूओं को भी मौत के घाट उतारा रहने की जानकारी सामने आयी है.
गत तीन वर्ष पूर्व 2022 में देश के प्रकल्पों में व्याघ्र गणना की गई. इस गणना में राज्य का सहभाग अधिक दिखाई दिया. 2018 में 312 दर्ज किये गये बाघों की संख्या 444 पर पहुंच गई. व्याघ्र संवर्धन में अव्वल रहे राज्य में ही व्याघ्र मृत्यु भी अधिक दिखाई दिये. 2020 से जनवरी 2025 के दौरान राज्य में कुल 168 बाघ और 808 तेंदूए की मृत्यु हुई है. इसमें 2020 में 18 बाघ और 198 तेंदूए, 2021 में 32 बाघ और 167 तेंदूए, 2022 में 29 बाघ और 140 तेंदूए, 2023 में 52 बाघ और 138 तेंदूए, 2024 में 26 बाघ और 144 तेंदूए तथा चालू वर्ष में 31 जनवरी तक 11 बाघ और 21 तेंदूए की मृत्यु हुई है. इसमें से अधिकांश नैसर्गिक कारणों से और दुर्घटना के कारण हुई है, फिर भी शिकार किये वन्य प्राणियों की संख्या अधिक है. सूचना अधिकार कार्यकर्ता अभय कोलारकर द्वारा दायर किये गये सूचना अधिकार से यह आंकडे सामने आये है. आकडेवारी में 2020 की तुलना में आंकडों को कमी दिखाई देती रही, तो भी शिकार पर अंकुश न लगने की बात स्पष्ट हुई है.
बहेरिया और बावरिया गिरोह की तरफ से होने वाले शिकार बाबत राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण ने रेड अलर्ट जारी किया, तब यह बात गंभीर मानी जा रही है. इसमें से अधिकांश प्रकरणों में स्थानीय शिकार का समावेश दिखाई दिया है. 2023 में बावरिया गिरोह की तरफ से संगठित शिकार की गढचिरोली और चंद्रपुर जिले में दो घटनाएं दर्ज हुई. गढचिरोली जिले में शिकारियों ने अंबेशिवनी में 2 और चंद्रपुर जिले के सावली के जंगल में और 2 बाघ का शिकार करने की कबूली दी है. शेष प्रकरण स्थानीय शिकारियों से संबंधित थे. वे तृणभक्षी प्राणियों को मारने के लिए निशाना बनाते थे. वर्तमान समय में विद्युतीकरण किये खेतों के कम्पाउंड के कारण बाघों की मृत्यु की घटनाओं में भारी बढोत्तरी हुई है. राजूरा से बहेलिया गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया. यवतमाल जिले के टिपेश्वर जंगल के दो बाघों के गले में फांसी लगी दिखाई देने से चिंता बढी है. वन्यजीव का संरक्षण करने के लिए प्रमुख रुप से जिम्मेदार रहे वनरक्षक पर अनेक बार अन्य जिम्मेदारी का भार रहता है. इस कारण शिकार विरोधी उपाय योजना पर ध्यान केंद्रीत करने के लिए उन्हें अपेक्षित समय नहीं मिला पाता. इस कारण प्रादेशिक जंगल के बाघों को व्याघ्र प्रकल्प के बाघ की तरह सुरक्षा देना आवश्यक है. पर्यटन के साथ ही बाघों के संवर्धन की तरफ ध्यान केंद्रीत करना काफी महत्वपूर्ण है, ऐसा भी जानकारों का कहना है.

* बाघ के हमले में एक की मौत
सिंदेवाही वनपरिक्षेत्र के कारगाटा वनक्षेत्र में बाघ के हमले में एक ग्रामवासी की मृत्यु होने की घटना बुधवार को उजागर हुई. मृतक का नाम श्यामराव अर्जुन मगाम (59) है. जाटलापुर के श्यामराव जंगल में मंगलवार को वनोषधी लाने गये थे. रात होने के बावजूद घर वापिस नहीं लौटे, इसकी जानकारी वनविभाग को दी गई. घटनास्थल पर तत्काल वनविभाग के अधिकारी और कर्मचारी भी पहुंच गये. श्यामराव मगाम का शव कारगाटा क्षेत्र के कक्ष क्रमांक 1344 में बरामद हुआ. घटना की गंभीरता को देखते हुए वनविभाग ने घटनास्थल पर 4 ट्रैप कैमरे और लाइव कैमरा लगाया हुआ है.

* एक साल में 37 बाघों की मौत
1 जनवरी 2024 से 31 जनवरी 2025 के दौरान राज्य में 37 बाघों की मृत्यु हुई है. इसमें नैसर्गिक रुप से 21, दुर्घटना में 7, शिकार में 5 तथा अन्य कारणों से 4 मृत्यु हुई है.

* राज्य में 5 साल में शिकार
वर्ष                               बाघ                तेंदूए
2020                             05                  29
2021                             09                  04
2022                             07                  08
2023                             15                  09
2024                             02                  05
2025 जनवरी तक            03                  00

 

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