5 हजार विद्यार्थी बनेंगे साइबर वालंटियर्स
डिजिटल सुरक्षा के लिए देश के 40 विद्यापीठों में दिया जाएगा प्रशिक्षण

मुंबई/दि.21– साइबर अपराध तमाम कोशिशों के बावजूद तेजी से बढ़ रहा है. मुश्किल यह है कि इसका शिकार होने वाले ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता कि उन्हें आगे क्या करना है. इसी के मद्देनजर देशभर में ’डब्ल्यूएचटी नाऊ’ नामक एक स्वयंसेवी संस्था ने डिजिटल सुरक्षा मुहिम शुरू की है. इस मुहिम के तहत देशभर के 40 विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले 5 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को इस साल के अंत तक ’डिजिटल फर्स्ट रिस्पांडर’ के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके तहत खासतौर पर सेक्सटॉर्शन, साइबर बुलिंग, पहचान चोरी करने, ऑनलाइन उत्पीड़न रोकने से जुड़ी वारदातों को रोकने पर जोर होगा. डब्ल्यूएसटी नाऊ से जुड़ी नीति गोयल ने कहा कि हमारी कोशिश है कि युवाओं को प्रशिक्षण के जरिए ज्ञान, हिम्मत और समुदाय की ताकत से लैस किया जाए, जिससे वे ऐसे अपराधों के खिलाफ खड़े होकर डिजिटल दुनिया की दिशा बदल सकें. सोशल मीडिया का दुरुपयोग और उसके खिलाफ चुप्पी एक महामारी बन गई है. इसी के खिलाफ हम विद्यार्थियों के जरिए एक राष्ट्रीय आंदोलन खड़ा करना चाहते हैं. अगले महीने से इस मुहिम की शुरुआत होगी.
* साइबर अपराधों में 24.4% की बढ़ोतरी
– राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल साइबर अपराधों में 24.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
– 65 हजार से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि अपराध इससे काफी ज्यादा हैं.
– बड़ी संख्या में पीड़ित खासकर महिलाएं और बच्चे डर और समाज में बदनामी के डर से इसकी शिकायत ही नहीं करते.
* साइबर अपराध सिर्फ तकनीकी नहीं भावनात्मक और सामाजिक संकट भी
हम विद्यार्थियों को साइबर क्षेत्र के जानकारों की मदद से साइबर कानून, इसकी शिकायत करने के तौर तरीकों, ठगी के शिकार को ढाढ़स देने, कानूनी जानकारों की मदद लेने, अपने कॉलेज में डिजिटल सेफ्टी से स्थापित करने का प्रशिक्षण देंगे. हमें लगता है कि साइबर अपराध सिर्फ तकनीकी नहीं बल्कि भावनात्मक, कानूनी और सामाजिक संकट भी है.
– अक्षत खेतान,
सह-संस्थापक, डब्ल्यूएचटी नाउ.
* हेल्पलाइन पर रोजाना ढाई हजार लोग करते हैं फोन
अक्षत खेतान ने बताया कि उनकी संस्था साइबर अपराध के शिकार लोगों के लिए पिछले साल जुलाई से एक हेल्पलाइन चला रही है. लोग +91-901912/15115 नंबर पर सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक संपर्क कर मदद मांग सकते हैं. फिलहाल रोजाना हमें ढाई से तीन हजार लोग फोन करते हैं. लोगों की मदद के लिए 30 साइकोट्रोमेटिक एक्सपर्ट हेल्पलाइन पर तैनात रहते हैं, जो लोगों को आत्महत्या के विचार खत्म करने, अवसाद से निकालने में मदद करते हैं. गंभीर अपराध के मामले में पुलिस की मदद लेने में भी हम पूरा सहयोग करते हैं. वालंटियर्स लोगों के साथ पुलिस स्टेशन भी जाते हैं. महाराष्ट्र, बिहार, उत्तराखंड, तेलंगाना जैसी सरकारों के साथ हमने समझौता किया है, जिसके चलते स्थानीय पुलिस हमें पूरी मदद करती है. आर्थिक ठगी के मामलों के बजाय हम फिलहाल उत्पीड़न के मामलों में मदद को तरजीह दे रहे हैं क्योंकि खतरा रहता है कि यह किसी की जान ले सकता है.