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राज्य में शीघ्र होगी 50 हजार शिक्षकों की भर्ती

विद्यार्थियों के मूल्यमापन हेतु जल्द ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल

पुणे/दि.15- राज्य में 50 हजार नये शिक्षकों की भर्ती की जाएगी. जिसके अनुसार पहले चरण में आगामी डेढ़ महीने में 30 हजार शिक्षक, दूसरे चरण में 20 हजार शिक्षकों की भर्ती होगी. यह भर्ती पूर्ण होने तक विद्यार्थियों का नुकसान न हो, इसके लिए निवृत्त शिक्षकों की जिला परिषद मार्फत भर्ती की जा रही है. यह जानकारी शालेय शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने शुक्रवार को पुणे में दी.
शालेय शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम हेतु केसरकर पुणे आये थे. इस समय उन्होंने माध्यमों से संवाद साधा. निवृत्त शिक्षकों को ठेका तत्व पर नियुक्ति देने के राज्य सरकार के निर्णय पर टिप्पणी हो रही है. इसके लिए प्रस्ताविक शिक्षक भर्ती बाबत केसरकर ने कहा कि शिक्षक भर्ती बाबत न्यायालय में याचिका होने से दिक्कतें आयी. लेकिन अब स्थगिती हटाए जाने से शिक्षक भर्ती का मार्ग सुकर हुआ है. शिक्षक भर्ती के लिए आवश्यक परीक्षा हो चुकी है. पात्र उम्मीदवारों की सूची उपलब्ध है. जिसके चलते तुरंत प्रक्रिया चलाकर भर्ती पूर्ण की जाएगी. शालेय शिक्षा का दर्जा बढ़ाने के लिए शिक्षण सेवकों के मानधन में वृद्धि, पांचवीं एवं आठवी की छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि, शिक्षकों के प्रशिक्षण में वृद्धि आदि अच्छे निर्णय गत 6 महीने में लिए गए हैं.
शालाओं में हर रोज कितने विद्यार्थी आते हैं. इस पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं. जिसके चलते कैमरे के माध्यम से भी जांच की जाएगी. इसी तरह विद्यार्थियों का मूल्यमापन करने के लिए कृत्रिम बुद्धीमत्ता समान अद्यावत तकनीकीज्ञान का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए बच्चों के हाथों में विविध पर्याय वाला रिमोट दिया जाएगा. प्रश्न पूछे जाने पर, विद्यार्थियों के पास के रिमोट द्वारा उत्तर देना होगा. जिसके अनुसार विद्यार्थियों का मूल्यमापन होगा. जिसमें से प्रत्येक विद्यार्थी का मूल्यमापन होगा. इसमें से प्रत्येक विद्यार्थी की इच्छा समज सकेंगे, ऐसा उन्होंने कहा.

अनुदानित शालाओं को सरकारी शालाओं का दर्जा
निजी शिक्षण संस्थाओं की अनुदानित शालाओं को राज्य सरकार की ओर से 100 प्रतिशत निधि दी जाती है. इन शालाओं को सरकारी शाला का दर्जा मिलने पर केंद्र सरकार की योजना का लाभ मिल सकता है. केसरकर ने कहा कि देश में महाराष्ट्र. गुजरात एवं उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य सर्वत्र राज्य में इसी तरीके से शालाएं शुरु है. जिसके चलते शालाओं को सरकारी दर्जा देने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है.

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