यवतमाल/दि.28- एक समय में शांतता प्रिय शहर के नाम से पहचाने जाने वाले यवतमाल शहर की पहचान अब अपराधों के शहर के नाम से हो रही है. शहर सहित जिले के कुछ इलाकों में अपराधीक तत्वों की गैंग पैदा हो रही है. देशी कट्टा, छुरा, चाकू, तलवार जैसे शस्त्र गुन्हेगार खुलेआम इस्तेमाल कर रहे हैं. दादा, भाई नाम का तो जैसे शहर में क्रेज निर्माण होने का चित्र दिखाई दे रहा है. जिसमें दहशत निर्माण करना, हफ्ता वसूली, जबरन प्रापर्टी पर कब्जा आदि अपराध बढते दिखाई दे रहे हैं. रास्ते पर चलते समय धक्का लगने पर शस्त्रों से हमला करने की घटनाएं अनेकों बार घट चुकी है.
जिले तथा शहर में जनवरी से अक्तूबर के दौरान दस महीनों में 51 हत्या हो चुकी है. यवतमाल शहर के चार पुलिस स्टेशन सहित जिले के थानों में हत्या का अपराध दर्ज किया गया है. हत्या की इन घटनाओं में पारिवारिक, पूराना वाद-विवाद की घटनाओं का समावेश है. शहर में बढते अपराधों की वजह से शहरवासियों में दहशत का वातावरण निर्माण है. इन अपराधों में नाबालिकों का सर्वाधिक सहभाग है. नाबालिकों व्दारा किए गए अनेकों अपराध सामने आ रहे हैं. पुलिस प्रशासन ने इन अपराधों को रोकने के लिए मोक्का, एमपीडीए, तडीपार जैसे अस्त्रों का उपयोग किया है, लेकिन अपराधों का सिलसिला शुरू ही है.
70 जानलेवा हमले
खुन के बदले खुन के प्रयास की घटना जिले में बडे प्रमाण में घट रही है. पिछले 10 महीनों में विविध पुलिस स्टेशनों में 70 जानलेवा हमलों के अपराध दर्ज किए गए है. यह आंकडे सनसनी फैलाने वाले है. हत्या व हत्या का प्रयास के अधिकांश मामलों का खुलासा पुलिस व्दारा किया गया है. कुछ अपराधों में अपराधी को गिरफ्तार भी किया गया है. फिर भी पुलिस प्रशासन के सामने शहर में बढते अपराधों की चुनौती है.