महाराष्ट्र

राज्य में 57 लाख कुणबी साक्ष्य मिले, लेकिन वारिस खोजना कठिन

तहसीलदार की अध्यक्षता में राज्य सरकार ने गठित की समिति

* वंशावली जोडने की सौंपी गई जिम्मेदारी
मुंबई/दि.29– मराठा-कुणबी आरक्षण के संदर्भ में राज्य सरकार द्वारा गठित न्या. संदीप शिंदे समिति को सरकारी अभिलेखों में 57 लाख कुणबी साक्ष्य मिले है. जिनके आधार पर जाति प्रमाणपत्र व जाति वैधता प्रमाणपत्र देना अपने आप में एक बडी चुनौती है, क्योंकि यद्यपि सरकारी अभिलेखों में दर्ज जानकारी को सामने आ गई है, परंतु इस जानकारी के अनुसार संबंधितों के वारिस व उनकी वंशावली मिलने मेें काफी तकलीफे जा रही है. ऐसे में इसके लिए सरकार ने तहसीलदारों की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय समिति का गठन किया है. यह समिति 4 माह के लिए अस्तित्व में रहेगी और इस समिति पर वंशावली को जोडने का जिम्मा सौंपा गया है. साथ ही जिन व्यक्तियों की वंशावली जुड रही है, उन्हें जाति प्रमाणपत्र व जाति वैधता प्रमाणपत्र जारी करने के निर्देश दिये है.
तहसीलदार की अध्यक्षता में गठित इस समिति में तहसीलदार, गटविकास अधिकारी, पुलिस निरीक्षक, पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारी, जिला जात वैधता जांच समिति के सहायक संशोधक अधिकारी, उर्दू भाषा व मोदी लीपी के विशेषज्ञ तथा सदस्य सचिव के तौर पर नायब तहसीलदार की नियुक्ति की गई है.

* क्या है दिक्कतें?
– प्राप्त राजस्व साक्ष्य सन 1860 से 1947 की कालावधि के दौरान वाले है. जिसमें संबंधितों के नाम और उनके पिता का नाम तो दर्ज है. परंतु उसके आगे सरनेम का उल्लेख नहीं है. ऐसे में अब आवेदक को अपनी वंशावली साबित करने में काफी दिक्कत आ रही है.
– पहले के नागरिकों द्वारा अपने पैतृक गांव में जमीन की विक्री कर दिये जाने तथा गांव छोडकर कही अन्य स्थलांतरीत हो जाने के चलते अब उस जानकारी से वंशावली का जोडना काफी मुश्किल हो रहा है.
– उपलब्ध सरकारी अभिलेखों व दस्तावेजों के जरिए मौजूदा आवेदक की पीढी के साथ संबंध प्रस्तापित करने में कई बार सबल व सक्षम साक्ष्य उपलब्ध नहीं हो पाते. जिसके परिणाम स्वरुप केवल आवेदक के शपथपत्र के आधार पर ही निर्णय लेना पडता है.

* 1500 से अधिक विशेष नियुक्त करने का आदेश
राज्य के 36 जिलों के लिए 72 संशोधन अधिकारी तथा 144 उर्दू व मोदी लीपीतज्ञ नियुक्त करने के आदेश जारी किये गये है. साथ ही समिति के काम हेतु तहसीलस्तर पर स्वतंत्र कक्ष तैयार करने का भी काम किया जाएगा.
यह समिति जाति की जानकारी उपलब्ध रहने वाले व्यक्ति के पिछले, समांतर व भविष्यकालीन वंशावली की यथा संभव मर्यादा तक जोडने का काम करेगी.

Related Articles

Back to top button