महाराष्ट्र

मोदी सरकार के छह वर्षीय कार्यकाल में ६३ अध्यादेश

पीआरएस लेजिस्लेटिव्ह रिसर्च संस्था ने दी जानकारी

मुंबई/दि.२२ – सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार अत्यंत आवश्यकता पडने पर ही अध्यादेश निकाला जाए ऐसा स्पष्ट कहा गया था. बार-बार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशों क बावजूद व पूर्व राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी द्वारा सरकार की खिचाई करने के पश्चात भी केंद्र की मोदी सरकार ने अपने छह वर्षीय कार्यकाल में ६३ अध्यादेश निकाले. जिसमें कृषि क्षेत्र से संबंधित अध्यादेशों के कानून का रुपांतर किए जाने के लिए राज्यसभा में रखे गए विधेयक जमकर विरोध हुआ. ८ सांसदों को निलंबित किया गया था.
पावस सत्र के दौरान ११ अध्यादेश के कानून में रुपांतर करने के लिए विधेयक की सूची संसदीय कार्यमंत्रालय द्वारा तैयार की गई थी. कोरोना काल में संसद का अधिवेशन स्थगित किया गया था. कुछ महत्वो के विषय को लेकर अध्यादेश निकालना आवश्यक था, ऐसा केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर ने कहा. कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में किए गए अध्यादेशों का भाजपा द्वारा विरोध किया गया था और तब सरकार पर कटाक्ष भी किए गए थे. किंतु अब भाजपा के सत्ता में आने के बाद अध्यादेश निकालने की परंपरा कायम है.
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में २०१४ में भापजा सत्ता में आयी. तब से अब तक ६३ अध्यादेश निकाले गए. ऐसी जानकारी पीआरएस लेजिस्लेटिव्ह रिसर्च संस्था द्वारा दी गई. मोदी सरकार ने पहली ही मंत्रीमंडल की बैठक में दो अध्यादेश निकालने का निर्णय लिया था. जिसमें प्रधानमंत्री के प्रधानसचिव पद पर नृपेंद्र मिश्रा की नियुक्ति को लेकर अध्यादेश था. उसके पश्चात अनेक विषयों पर अध्यादेश निकालने का कार्य मोदी सरकार द्वारा किया गया था. तत्कालीन राष्ट्रपति स्व. प्रणव मुखर्जी ने उस समय कहा था कि ज्यादा ही आवश्यकता हो तो सरकार अध्यादेश निकाले. सर्वोच्च न्यायालय ने भी अध्यादेश को लेकर स्पष्ट कहा था. किंतु इसके बावजूद भी सरकार द्वारा अध्यादेश निकालने का सिलसिला जारी ह. १९५२ से २०१४ तक ६३७ अध्यादेश निकाले गए थे. जिसमें सर्वाधिक १५७ अध्यादेश पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के कार्यकाल में निकाले गए थे. तथा डॉ. मनमोहन सिंग के १० वर्षीय कार्यकाल में ६१ अध्यादेश निकाले गए थे. अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छह वर्षीय कार्यकाल में ६३ अध्यादेश निकाले गए.

वर्ष निहाय अध्यादेश की संख्या

  • २०१५-९
  • २०१६-१०
  • २०१७-७
  • २०१८-९
  • २०१९-१६
  • २०२०-१२

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