शिखर बैंक घोटाले में अजीत पवार सहित ६९ लोगों को क्लिनचीट
सभी को हाईकोर्ट से मिली बडी राहत
मुंबई/दि.८– शिखर सहकारी बैंक के घोटाला मामले में प्रतिभूति संचालनालय (ED) द्वारा राकांपा अध्यक्ष शरद पवार व राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार सहित ७० लोगों के खिलाफ गत वर्ष अपराध दर्ज किया गया था. साथ ही राज्य मध्यवर्ती सहकारी बैंक के कर्ज वितरण मामलों में अनियमितता पाये जाने के चलते करीब २५ हजार करोड रूपयों का घोटाला होने का आरोप नाबार्ड की रिपोर्ट में भी लगाया गया था. जिसके आधार पर सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंदर अरोरा ने उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल की थी. जिसमें डेप्युटी सीएम अजीत पवार सहित ६९ लोगोें को आरोपी बनाया गया था. जिन्हें हाईकोर्ट द्वारा क्लिनचीट देते हुए बडी राहत दी गई है. जानकारी के मुताबिक ईओडब्ल्यूएस के विशेष जांच पथक यानी एसआईटी को इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिलने की वजह से एसआईटी ने न्यायालय में सी-सारांश रिपोर्ट पेश की. साथ ही मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अपनी ्नलोजर रिपोर्ट भी न्यायालय में दायर की. २५ हजार करोड रूपयों के कथित घोटाला मामले की जांच रिपोर्ट में तत्कालीन संचालक मंडल को आरोपी किया गया था. पश्चात वर्ष २०११ में रिजर्व बैंक द्वारा बर्खास्त किये गये संचालक मंडल में अजीत पवार, हसन मुश्रीफ, शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल व भाजपा के विजयqसह मोहिते पाटिल सहित अन्य कई पार्टियों के नेताओं का समावेश था. शक्कर सहकारी संस्था, सूतगिरणी तथा जिला व सहकारी बैंकों से प्रक्रिया करनेवाले अन्य उद्योग कंपनियों द्वारा लिये गये बडे कर्जों से संबंधित यह शिकायत थी.
क्या हैं शिखर बैंक घौटाला मामला वर्ष २००१ से २०११ के दौरान २३ सहकारी शक्कर कारखानों को शिखर बैंक ने कोई गिरवी न रखते हुए कर्ज दिये थे और यह कर्ज एनपीए यानी अनुत्पादक में चले गये. पश्चात इन कारखानों को नेताओं ने खरीद लिया. जिसके लिए एक बार फिर शिखर बैंक ने ही कर्ज दिया. जिसकी वजह से बैंक को कुल २ हजार ६१ करोड रूपयों का नुकसान सहन करना पडा. वर्ष २००५ से २०१० के दौरान यानी कांग्रेस-राकांपा आघाडी सरकार के दौरान हुए इस कर्ज वितरण में कोई कर्ज वसूली नहीं हुई थी. जिससे बैंक का आर्थिक नुकसान तो हुआ, लेकिन इन नेताओं ने अपनी संस्थाओं को नियमबाह्य तरीके से कर्ज देते हुए इसका फायदा उठाया. वर्ष २०१४ से राज्य सहकारी बैंक की आर्थिक गडबडियों की जांच शुरू हुई. जिसमें से १० मामलों की जांच पूर्ण होने पर विभिन्न दलों के ७६ नेताओं ने साथ मिलकर बैंक को १ हजार ८७ करोड रूपयों के नुकसान में डाला. ऐसा निश्चित हुआ. जिसके बाद जांच अधिकारी ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, शिवसेना सांसद आनंदराव अडसुल, भाजपा के विजयसिंह मोहिते पाटिल व दिवंगत कृषि मंत्री पांडूरंग फुंडकर सहित एक दर्जन से अधिक पूर्व मंत्रियों, विधायकों व सांसदों तथा ६५ पूर्व संचालकोें के खिलाफ अपराध दर्ज किया था. जिन्हें अदालत द्वारा क्लिनचीट दे दी गई है.