-
वेतनधारको की संख्या में लगातार घट हो रही है
-
सीएमआयई की जानकारी
मुंबई/ दि.३१ – देशभर में उमडी कोरोना की दूसरी लहर और उसे रोकने के लिए लगाया गया लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी दुगनी होकर १४.७३ प्रतिशत हो गई है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनामी से (सीएमआई) ने दी गई जानकारीनुसार शहरी क्षेत्र में १७ प्रतिशत तथा ग्रामीण क्षेत्र मेें १४ प्रतिशत बेरोजगारी है. देश में ९७ प्रतिशत लोग पिछले वर्ष की अपेक्षा और गरीब हो गये है. इस ओर सीएमआय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी महेश व्यास ने अपना ध्यान आकर्षित किया है. एक वर्ष पूर्व आय की तुलना में केवल ३ प्रतिशत लोगों की आय बढी है.देश मेें ५५ प्रतिशत लोगों ने अपनी आय घटने का स्पष्ट किया है तथा अन्य लोगों की आय में कोई कमी अथवा बढोतरी नहीं है. महंगाई को देखते हुए ९७ प्रतिशत व्यक्ति विगत वर्ष की तुलना में अधिक गरीब हो गये है. यह खुब बडा आर्थिक फटका है. ऐसी स्थिति में सुधार कैसे हो यह गंभीर समस्या है. ऐसा सीएमआयई के सीईओ महेश व्यास ने स्पष्ट किया. भारत को अप्रैल २०२० में कोरोना का फटका बैठा है. उस समय १२.६ करोड़ रोजगार गये. इसमें ९ करोड़ रोजंदारी पर काम करनेवाले श्रमिक थे. देश में लॉकडाउन लगाने के बाद रोज कमाकर रोज खानेवाले सभी श्रमिको का रोजगार डूब गया. लॉकडाउन हटने के बाद धीरे-धीरे रोजंदारी पर काम करनेवाले के काम शुरू हो गये. परंतु उस काम की आय बहुत कम थी. कुछ लोगों को तो रोजगार मिला ही नहीं, ऐसा व्यास ने स्पष्ट किया. सीएमआई की जानकारी के आधार पर अमित बसोले, रोझाा अब्राहम के पथकोने अझीम प्रेमजी विद्यापीठ मेें किए गये अभ्यास में ऐसा दिखाई दिया कि जिन्होने औपचारिक सुरक्षित नौकरी गंवाई है. उनमें से अनेको को असंगठित क्षेत्र में रोजगार मिलना चाहिए. सीएमआयई के अभ्यासानुसार कोरोना से पूर्व देश में ४०.३५ नौकरी थी. पहली लहर के बाद दिसंबर २०२० अथवा जनवरी २०२१ मेें ४० हजार करोड़ नौकरी की संख्या दर्ज की गई. पहली लहर की सर्वोत्तम स्थिति में भी ३५ लाख नौकरीया कम थी. आज की घडी का यही आकडा उससे
भी कम, ३.९० करोड है. इसमें भी औपचारिक नौकरिया ७.३ से ७.४ करोड है. नौकरी खोनेवाले को कई लोगों को फिर से रोजगार मिला, रूढीवादी को सुरक्षित, औपचारिक नौकरी न मिलकर अन्य रोजगार मिलनेवालों की संख्या अधिक है. वेतन धारको की संख्या निरंतर कम हो रही है. इस ओर सीएमआयई ने ध्यान आकर्षित किया है.