नागपुर/दि.20– संवैधानिक मान्यता प्राप्त विदर्भ विकास मंडल के विस्तार को लेकर केंद्र सरकार को आदेश जारी कर सकती है या नहीं, इस पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ 9 अगस्त को फैसला सुना सकती है. पीठ ने गुरूवार को इस संबंध में संकेत दिए. इस मुद्दे पर न्यायमूर्तिद्बय नितिन सांबरे व अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई.
विदर्भ विकास मंडल को विस्तार दिए जाने को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करनेवाले नितिन रोंघे के वकील एड. फिरदोस मिर्जा ने दावा किया कि विदर्भ विकास मंडल का गठन करना केंद्र सरकार का विधि विषय नहीं हैं. बल्कि कार्यकारी अधिकार है. इसलिए उच्च न्यायालय इस संंबंध में केंद्र सरकार को आदेश दे सकता है. केंद्र सरकार के वकील एड. नंदेश देशपांडे ने कहा कि चूकि यह केंद्र सरकार के विवेक और नीतिगत अधिकार का हिस्सा है कि विदर्भ विकास मंडल की स्थापना की जाए या नहीं.
संविधान के अनुच्छेद 371 (2) के अनुसार, राष्ट्रपति के पास विकास मंडल स्थापित करने की शक्ति है. इसलिए सबसे पहले 1994 में विदर्भ, मराठवाडा और शेष महाराष्ट्र के लिए विकास मंडल स्थापित करने की जिम्मेदारी राज्यपाल को दी गई. इस संबंध में 9 मार्च 1994 को एक आदेश जारी किया गया था. इसके अलावा विकास मंडलों का कार्यकाल समय-समय पर बढाया गया. विदर्भ विकास मंडल का अंतिम विस्तार 30 अप्रैल 2020 तक था.
इसके बाद समय सीमा नहीं बढाई गई. परिणामस्वरूप मंडल का अस्तित्व समाप्त हो गया है. राज्य सरकार ने 2022 में मंंडल का विस्तार दिलाने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव सौंपा है. साथ ही समय-समय पर स्मरण पत्र भी भेजे गये हैं. केंद्र सरकार से इस संबंध में राष्ट्रपति को सलाह दिया जाना अपेक्षित है लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है.