महाराष्ट्र

कुपोषण से एक भी बच्चे की मौत हुई तो होगी कडी कार्रवाई

उच्च न्यायालय का राज्य सरकार को इशारा

  • सुनवाई के दरमियान लगाई फटकार

मुंबई/ दि.२४ – राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में एक भी बालक की मौत कुपोषण से हुई तो कडी कार्रवाई की जाएगी ऐसा इशारा मुंबई उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को दिया. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता तथा न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी की खंडपीठ व्दारा एक याचिका की सुनवाई के दरमियान सोमवार को कुपोषण के मुद्दे पर राज्य सरकार को फटकार लगायी गई. इस मामले में अब आगे की सुनवाई 6 सितंबर को होगी.

  • 2007 में दाखिल की गई थी याचिका

राज्य के मेलघाट आदिवासी बहुल क्षेत्र में कुपोषण की वजह से बालको की तथा गर्भवती व स्तनदा माताओं की मृत्यु की संख्या लगातार बढ रही थी. जिसको लेकर साल 2007 में याचिका दाखिल की गई थी. उस याचिका पर सुनवाई के दरमियान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को इशारा दिया और कहा कि कुपोषण से यदि एक भी बालक की मौत हुई तो कडी कार्रवाई की जाएगी. इस समय मेलघाट के सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्त्री रोगतज्ञ व रेडीयोलॉजिस्ट के अभाव को लेकर भी लक्ष्य केंद्रीत किया गया. पिछले एक साल में मेलघाट यहां कुपोषण से 73 बालकों की मौत हुई थी ऐसा सोमवार को याचिकाकर्ता ने न्यायालय में कहा.

  • केंद्र सरकार को भी दिए निर्देश

कुपोषण की समस्या का निराकरण करने के लिए केंद्र सरकार राज्य सरकार को कितनी निधि दे रही है तथा केंद्र सरकार किस तरह से निगाह रख रही है इस संदर्भ में प्रतिज्ञापत्र न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश भी उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दिए. इस मामले में अब आगे की सुनवाई 6 सितंबर को होगी.

  • 73 बालकों की मौत हुई कैसे?

मेलघाट वासियों को कुपोषण की समस्याओं से छूटकारा दिलवाने हेतु सभी प्रकार के कदम उठाए जा रहे है ऐसा एड. नेहा भिडे ने राज्य सरकार की ओर से न्यायालय में कहा. इस पर न्यायालय ने कहा कि जब सारी यंत्रणा सरकार के पास है फिर भी 73 बालकों की मौत कैसे हुई. अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 कालावधि में आदिवासी क्षेत्रों में कितने बालकों की मौत कुपोषण से हुई है तथा इस क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र पर कितने वैद्यकीय कर्मचारियों की नियुक्तियां की गई है इस प्रकार की जानकारी दिए जाने के निर्देश राज्य सरकार को न्यायालय व्दारा दिए गए और यह भी कहा गया कि सुनवाई के दरमियान कुपोषण से किसी बालक की मौत हो जाती है तो राज्य के मुख्य सचिव जिम्मेदार रहेंगे ऐसा न्यायालय में सुनवाई के दौरान कहा गया.

 

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