महाराष्ट्र

एक ही व्यक्ति ने डाले 10 हजार आरटीआई आवेदन

एक ही दिन के दौरान खारिज हुई ढाई हजार अपील

* सूचना आयुक्त ने दर्ज कराया महत्वपूर्ण निरीक्षण
छ. संभाजीनगर/दि.29– इन दिनों कई लोगों ने सूचना अधिकार का दुरुपयोग करते हुए मन में कोई बात आते ही आरटीआई दाखिल करने की मानसिकता अपना ली है. आरटीआई के ऐसे अनिर्बंध प्रयोग का एक उदाहरण हाल ही में सामने आया है.जब एक व्यक्ति ने सूचना अधिकार के तहत करीब 10 हजार आवेदन किये है. खास बात यह रही कि, केवल 3 वर्ष के दौरान 2 हजार 788 द्वितीय अपील भी दाखिल की गई है. परंतु इस जरिए इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है, ऐसा निष्कर्ष दर्ज करते हुए सूचना आयुक्त ने एक ही दिन के दौरान इन सभी अपीलों को खारिज कर दिया.
आरटीआई का जमकर प्रयोग करने वाले इस व्यक्ति का नाम केशवराज निंबालकर है, जो बीड जिले के निवासी है. उनका मानना है कि, कई सरकारी आस्थापनाओं ने उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई ही नहीं की. जिसके चलते उन्होंने सन 2021 से 10 जून 2024 तक करीब साढे तीन वर्ष की अवधि के दौरान राज्य सूचना आयोग की छत्रपति संभाजी नगर खंडपीठ के पास 2 हजार द्वितीय अपील दायर की. पहली बार आवेदन फिर प्रथम अपील करने के बाद भी इतने बडे पैमाने पर द्वितीय अपील क्यों दाखिल करनी पडी. यह सवाल आयोग के समक्ष उपस्थित होने पर 26 जून को सूचना आयुक्त मकरंद रानडे ने इन अपीलों पर सुनवाई रखी. जिसमें पाया गया कि, निंबालकर द्वारा की गई सभी द्वितीय अपीलों में लगभग एकसमान कारण दर्ज कराये गये. इसके तहत आवेदन व प्रथम अपील किये गये प्राधिकरणों द्वारा जानकारी देने से इंकार किया गया और प्रथम अपीलिय अधिकारी ने कोई निर्णय ही नहीं दिया. इस तरह के कारण सभी द्वितीय अपीलों में दर्ज थे.

इस मामले की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त ने कहा कि, एक ही व्यक्ति द्वारा सूचना अधिकार कानून के तहत हजारों की संख्या में आवेदन करना इस कानून में अभिप्रेत नहीं है. आवेदनों की इतनी प्रचूर संख्या को देखते हुए स्पष्ट होता है कि, अपीलार्थी द्वारा सूचना अधिकार कानून का दुरुपयोग करते हुए विभिन्न सरकारी कार्यालयों व प्राधिकरणों को बिना वजह घेरने का काम किया जा रहा है और इससे कोई जनहित साध्य नहीं हो रहा. इस तरह से अमर्यादित आरटीआई आवेदन करने की आदत के चलते सरकारी कार्यालयों का कामकाज भी ठप हो सकता है. यह कहने के साथ ही राज्य सूचना आयोग मकरंद रानडे ने निंबालकर की 2 हजार 788 द्वितीय अपीलों को एक झटके में खारिज कर दिया.

* अपीलार्थी का अजब दावा
वहीं इस मामले की सुनवाई के दौरान अपीलार्थी केशवराज निंबालकर ने दावा किया कि, किसी आवेदक द्वारा कितने आवेदन किये जाये, इसे लेकर कानून में कोई भी प्रतिबंध नहीं है. ऐसे में इस कानून ेके तहत प्राप्त अधिकार के अनुसार उन्होंने आवेदन किये और इस समय अलग-अलग सरकारी कार्यालयों में उनके 10 हजार आवेदन प्रलंबित है. परंतु जब आयोग ने यह जानना चाहा कि, इतने बडे पैमाने पर दायर किये गये आरटीआई आवेदनों से कौनसा जनहित साध्य हो रहा है, तो निंबालकर कोई भी समर्थनीय कारण नहीं बता पाये.

* पौने तीन लाख रुपयों का खर्च गया पानी में
सामान्य तौर पर एक अपील के लिए कम से कम 100 रुपए का खर्च भी ग्राह्य माना जाये, तो निंबालकर द्वारा 2 हजार 788 अपीलों के लिए 2 लाख 78 हजार 800 रुपए का खर्च किया गया. परंतु सभी अपील खारिज कर दिये जाने के चलते यह खर्च व्यर्थ हो गया, ऐसा भी सूचना आयुक्त रानडे द्वारा कहा गया. एक प्राधिकरण के पास एक ही दिन के दौरान एक से अधिक सूचना अधिकार आवेदन आने पर उन आवेदनों पर 30 दिन के भीतर कार्रवाई करना जनसूचना अधिकारियों के लिए संभव नहीं होता. साथ ही इसका विपरित परिणाम सच में जरुरत रहने वाले आवेदकों पर होता है. ऐसा भी सूचना आयुक्त द्वारा अपने फैसले में कहा गया.

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