राज्य में करीब 62 लाख किसानों ने नहीं निकाला फसल बीमा
केवल 38 लाख किसानों ने ही लिया योजना में सहभाग
मुंबई/दि.3- विगत माह समूचे राज्य में अतिवृष्टि होती रही और आगामी समय में भी अतिवृष्टि होने का अंदेशा मौसम विभाग द्वारा जताया गया है. ऐसे में किसानों द्वारा अपनी फसलों का बीमा निकाला जाना बेहद जरूरी है. जिसके चलते राज्य के कई जिलों में करीब 38 लाख किसानों ने अपनी फसलों का बीमा निकाला है, लेकिन फसल बीमा योजना में पंजीयन व आवेदन करने की अंतिम तिथी खत्म हो जाने के चलते इस प्रक्रिया से राज्य के करीब 62 लाख किसान बाहर हो गये है. पैसों की दिक्कत और बीमा लाभ मिलने की गारंटी नहीं रहने के चलते 1 करोड खाता धारक किसानों में से 62 फीसद किसानों ने इस योजना में सहभाग ही नहीं लिया.
उल्लेखनीय है कि, विगत माह हुई अतिवृष्टि के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कुछ नुकसान प्रभावित क्षेत्रों का दौरा तो किया, लेकिन मुआवजे एवं सहायता राशि को लेकर कोई घोषणा नहीं की. ऐसी स्थिति में किसानों के पास फसल बीमा निकालने का ही सबसे बडा आधार था. जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा 1 अगस्त तक का समय दिया गया था और इस अंतिम तिथी तक राज्य में 38 लाख 43 हजार 724 किसानों द्वारा फसल बीमा निकाले जाने की जानकारी है. बता दें कि, राज्य में खाताधारक किसानोें की संख्या 1 करोड के आसपास है. जिसमें से केवल 38 फीसद किसानों ने ही फसल बीमा निकाला है. जिनके द्वारा 296 करोड 57 लाख 54 हजार 151 रूपयों की बीमा किश्त भरी गई है. वहीं 62 लाख किसानों ने फसल बीमा योजना से मुंह मोड लिया है.
– 62 लाख किसान योजना से बाहर
– 38 लाख किसानों ने फसल बीमा लिया
* राज्य की स्थिति
जिला किसान संरक्षित क्षेत्र (हेक्टेयर)
अमरावती 2 लाख 15 हजार 1 लाख 91 हजार
यवतमाल 3 लाख 99 हजार 3 लाख
बुलडाणा 3 लाख 49 हजार 2 लाख 77 हजार
गडचिरोली 24 हजार 16 हजार
भंडारा 1 लाख 27 हजार 55 हजार
औरंगाबाद 7 लाख 28 हजार 3 लाख 11 हजार
जलगांव 1 लाख 35 हजार 1 लाख 28 हजार
लातूर 7 लाख 37 हजार 5 लाख
नंदूरबार 8 हजार 6 हजार
उस्मानाबाद 6 लाख 68 हजार 5 लाख
पालघर 19 हजार 375 10 हजार 85
रायगड 6 हजार 2 हजार
सांगली 23 हजार 13 हजार
सातारा 3 हजार 1 हजार
सोलापुर 1 लाख 95 हजार 1 लाख 62 हजार
* रिपोर्ट ही तैयार नहीं
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों की ऑनलाईन बैठक लेते हुए तत्काल रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे और 1 अगस्त तक रिपोर्ट तैयार होने की अपेक्षा व्यक्त की गई थी. लेकिन चूंकि नुकसान ही काफी बडे पैमाने पर हुआ है. ऐसे में रिपोर्ट तैयार करने का काम अधर में लटका हुआ है.