मुंबई/दि.10 – मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोप की गोपनीय जांच (डिस्क्रीट इन्क्वायरी) की जा रही है. गृह विभाग ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को तीन शिकायतों की गोपनीय जांच करने कहा है. इस मामले में एफआईआर तभी तर्ज की जाएगी, जब शुरुआती जांच में आरोपों के पक्ष में तथ्य मिलेंगे. अगर सिंह के खिलाफ सबूत नहीं मिले तो आगे किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस मामले में अधिकारिक बयान दर्ज नहीं किए जाएंगे लेकिन एसीबी आरोप लगाने वालों से बातचीत करेगा और उनसे आरोपों के बारे में और जानकारी हासिल करने की कोशिश करेगा. तीन महीनों में एसीबी को इस मामले की प्राथमिक जांच पूरी करनी है. तीनों मामलों की अलग-अलग जांच की जाएगी.
बता दें कि हाल ही में पुलिस इंस्पेक्टर बीआर घाडगे, अनूप डांगे और बुकी सोनी जालान ने सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री, गृह मंत्री, पुलिस महानिदेशक और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को पत्र लिखा था.
डीजीपी पांडे ने जांच करने से किया था इनकार
परमबीर सिंह के खिलाफ लगे आरोपों की जांच शुरुआत में डीजीपी संजय पांडे को सौंपी गई थी. लेकिन परमबीर ने उन पर समझौते का दबाव डालने का आरोप लगाया, जिसके बाद सिंह ने जांच करने में असमर्थता दिखाई. अब जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने का फैसला किया गया है. घाडके की शिकायत के आधार पर सिंह और दूसरे पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है. अपने खिलाफ हो रही जांच को चुनौती देने के लिए सिंह ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है. सिंह को अदालत से राहत मिले या नहीं, राज्य सरकार फिलहाल उन्हें राहत देने को तैयार नहीं है और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले सिंह लगातार मुश्किलों में फंसते दिख रहे हैं.