महाराष्ट्र

रिलायन्स इंशुरन्स पर कार्रवाई की गाज

फसल बीमा नकारे जाने से राज्य सरकार आक्रमक

मुंबई/दि.19 – इस बार खरीफ मौसम में अतिवृष्टि से बाधित किसानों को फसल बीमा की नुकसान भरपाई देने को लेकर राज्य सरकार व रिलायन्स जनरल इंशुरन्स कंपनी के बीच का विवाद अंतिम छोर पर पहुंचा है. सर्वतोपरी प्रयास करने के बावजूद रिलायन्स कंपनी द्वारा किसानों को नुकसान भरपाई न देने के कारण इस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की गाज गिराते हुए सरकार ने अपराध दर्ज करने के आदेश जिलाधिकारी को दिये जाने की जानकारी है. दूसरी ओर केंद्र सरकार के आशीर्वाद से ही रिलायन्स की मुहजोरी बढ़ने का आरोप किसान सभा ने किया है.
राज्य में आयसीआयसीआय लोंबार्ड जनरल इन्शुरन्स, ईप्को-टोकियो जनरल, रिलायन्स जनरल, एडीएफसी इर्गो, भारतीय कृषि बीमा, बजाज अलान्यस ये कंपनियां फसल बीमा के लिए कार्यरत हैं. खरीफ मौसम के लिए 84 लाख किसानों ने फसल बीमा उतरवाया है. मात्र अतिवृष्टि के कारण 48 लाख हेक्टर क्षेत्र बाधित होने के साथ ही फसल बीमा मिलने के लिए 38 लाख किासनों ने कंपनियों से मांग की है. इनमें से अब तक 1806 करोड़ रुपए की नुकसान भरपाई निश्चित की गई है. यह आकड़ा ढाई हजार करोड़ के करीब होने की संभावना है. इनमें से अग्रीम के रुप में 992 करोड़ रुपए का वितरण किसानों को प्रत्यक्ष किया गया है. लेकिन धक्कादायक बात यह है कि रिलायन्स जनरल इन्शुरन्स कंपनी ने किसानों को अब तक एक रुपया भी नुकसान भरपाई नहीं दी.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस कंपनी को तीन लाख 90 हजार 885 किसानों के 289.42करोड़ रुपए का अग्रीम मंजूर होकर भी कंपनी ने किसानों को मदद देने में टालमटोल शुरु की है. ऐसा ही प्रकार बजाज कंपनी ने तीन लाख 23 हजार किसानों के 353.25 करोड़ का अग्रीम मंजूर किए जाने के साथ ही इनमें से सिर्फ 10.50 प्रतिशत यानि 68 हजार किसानों को 37.08 करोड़ का वितरण किया है. इसके विपरीत भारतीय कृषि बीमा कंपनी ने पांच लाख 76 हजार किसानों को 210 करोड़ क अग्रीम मंजूर किए जाने के साथ ही अब तक पांच लाख 28 हजार किसानों को 188.96 करोड़ रुपए की मदद वितरित की है. ऐसा ही प्रकार आयसीआयसीआय ने एक लाख 63 हजार किसानों को 106.96 यानि 66.68 प्रतिशत मदद का वितरण किया है. वहीं इफ्को-टोकिओ ने सात लाख 97 हजार किसानों को 403.09 करोड़ की एवं एचडीएफसी ने चार लाख 31 हजार किसानों को 185 करोड़ (78.70 प्रतिशत) की मदद वितरित की है.
दीपावली से पूर्व कृषि मंत्री दादाजी भुसे के साथ हुई बैठक में ठहराये गए अनुसार रिलायन्स के अलावा सभी कंपनियों ने किसानों को फसल बीमा के पैसे वितरित करना शुरु किया. लेकिन पहले राज्य सरकार बकाया रकम दें तभी किसानों को पैसे देंगे, ऐसी भूमिका लेते हुए रिलायन्स ने किसानों को परेशान करना शुरु किया है. जिस पर से सरकार एवं कंपनी में विवाद शुरु होने के साथ ही सरकार न अब कंपनी पर कार्रवाई की गाज गिराई है. इस कंपनी के विरोध में अपराध दाखल करने के आदेश जिलाधिकारी को दिए जाने की जानकारी सूत्रों ने दी.

राज्य सरकार ने पैसे रोकने का रिलायन्स का दावा

फसल बीमा बाबत केंद्र सरकार के साथ हुए करार एवं उनके द्वारा दी गई मार्गदर्शक सूचना के अनुसार ही कंपनी ने राज्य सरकार से तीन वर्ष का करार किया है. मात्र, बीमा रकम के अनुदान की रकम राज्य सरकार ने बकाया रखने से किसानों के बीमा दावे की भरपाई करने में दिक्कत हो रही है. इस बाबत राज्य के कृषि विभाग से बार-बार संपर्क साधा गया. लेकिन राज्य सरकार ने पैसे नहीं दिए. कंपनी ने किसानों को इससे पूर्व दावें की नुकसान भरपाई देने की बात भी रिलायन्स जनरल इन्शुरन्स कंपनी ने इंडियन एक्सप्रेस को ई-मेल द्वारा भेजे गए पत्र में स्पष्ट की.

क्या है विवाद?

2020 के खरीफ मौसम में अतिवृष्टि से 42 लाख हेक्टर खेती का नुकसान हुआ था. उस समय सन 2019 की तरह महसूल विभाग व्दारा किए गए पंचनामे के अनुसार किसानों को मदद देने की सूचना सरकार ने बीमा कंपनियों को की थी. लेकिन 2019 में जिस तरह वितरण किया गया, वैसी मदद देने के लिए कंपनी ने इनकार किया. इतना ही नहीं तो केंद्र से किए गए करार के अनुसार आपत्ति के बाद 72 घंटे में नुकसान की पूर्व सूचना देने वाले किसानों को ही मदद देने की भूमिका कंपनी ने ली. गत मौसम के बीमा हफ्ते के चलते पांच हजार 800 करोड़ में से 3500 करोड़ रुपए रिलायन्स को दिए गए हैं. मात्र कंपनी ने किसानों के नुकसान भरपाई के एक हजार करोड़ रुपए नहीं दिए जाने से यह रकम रोकी जाने की जानकारी कृषिमंत्री दादाजी भुसे ने दी.

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