महाराष्ट्र

राज्य में अतिरिक्त 1400 मेट्रिक टन ऑक्सिजन तैयार किया जायेगा

मिशन ऑक्सिजन स्वावलंबन के तहत

  • ऑक्सिजन उत्पादन प्रोजेक्ट के लिए 116 कंपनियों ने किये आवेदन

मुंबई/दि.1 – कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान महाराष्ट्र को ऑक्सिजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पडा था. ऑक्सिजन की कमी के चलते कई लोगों को अपनी जान गंवानी पडी थी. इससे सबक लेते हुए राज्य सरकार ने ऑक्सिजन के मामले में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की योजना तैयार की है.
मिशन ऑक्सिजन स्वावलंबन के तहत राज्य में अतिरिक्त 1400 मेट्रिक टन ऑक्सिजन तैयार किया जाएगा. फिलहाल राज्य में 116 कंपनियों ने ऑक्सिजन उत्पादन प्रोजेक्ट लगाने के लिए आवेदन किए हैं. इससे 1428 मेट्रिक टन ऑक्सिजन उत्पादन हो सकेगा. बीते अगस्त माह के दौरान राज्य में 1300 मेट्रिक टन ऑक्सिजन का उत्पादन हो रहा था. जबकि बढते कोरोना मरीजों के मद्देनजर ऑक्सिजन की मांग 1800 मेट्रिक टन तक पहुंच गई थी. ऑक्सिजन की कमी को दूर करने के लिए दूसरे राज्यों से ऑक्सिजन मंगाने पडे. इसमें अधिक समय लग रहा था.
स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि कोरोना की तीसरी लहर आई तो महाराष्ट्र में ऑक्सिजन की मांग 3800 मेट्रिक टन हर रोज तक पहुंच सकती है. क्योंकि आशंका है कि तीसरी लहर दूसरी लहर के मुकाबले डेढ गुना तीव्र होगी. अभी राज्य में 32 उद्योगों द्वारा ऑक्सिजन उत्पादन किया जा रहा है. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका अभी भी बनी हुई है. इसके मद्देनजर राज्य सरकार ने पिछले दिनों उद्योगों से ऑक्सिजन उत्पादन बढाने की अपील की थी.

विदर्भ व मराठवाडा के लिए 53 आवेदन प्राप्त

फिलहाल पुणे व रायगड इलाके में ही ऑक्सिजन का ज्यादा उत्पादन हो रहा है. पर इसे राज्य के दूसरे इलाकों में पहुंचाने में समय व पैसे खर्च करने पडते है. उद्योग विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस समस्या के समाधान के लिए उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने राज्य के विदर्भ, मराठवाडा, धुले, नंदूरबार, रत्नागिरी जैसे इलाकों में ऑक्सिजन उत्पादन यूनिट शुरू करने पर जोर दिया है. नागपुर में 19, अमरावती में 11, औरंगाबाद व नांदेड में 23 ऑक्सिजन उत्पादन ईकाई शुरू करने के लिए आवेदन आए हैं. अधिकारी ने बताया कि ऑक्सिजन उत्पादन बढाने के लिए उद्योग विभाग ने नए व पुराने उद्योगों को बिजली शुल्क माफी, ब्याज अनुदान, मुद्रांक शुल्क माफी जैसी सहूलियतें दी हैं. अधिकारी ने दावा किया कि इससे ऑक्सिजन के मामले में महाराष्ट्र आत्मनिर्भर हो सकेगा.

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