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आदित्य ठाकरे की युवा सेना विदर्भ के कई जिलों में फूटी

पूर्वी विदर्भ के 150 पदाधिकारी शिंदे सेना में

* अमरावती में फूट का कोई असर नहीं
मुंबई/दि.8- शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे पार्टी के विधायक तथा युवा सेना प्रमुख आदित्य ठाकरे इस समय अपनी महाप्रबोधन यात्रा के निमित्त मराठवाडा के दौरे पर हैं. ताकि संगठन को मजबूती प्रदान की जा सके, वहीं दूसरी ओर सीएम शिंदे के नेतृत्व वाली बालासाहब की शिवसेना विदर्भ क्षेत्र में युवा सेना के भीतर सेंध लगाने की पूरी तैयारी कर ली हैं. जिसके चलते पूर्वी विदर्भ से युवा सेना के करीब 150 पदाधिकारियों ने आदित्य ठाकरे के नेतृत्व वाली युवा सेना से इस्तीफा दे दिया हैं और अब वे जल्द ही शिंदे गुट में प्रवेश करने वाले हैं. इसके साथ ही पूर्वी विदर्भ के युवा सैनिकों ने यह मांग भी उठाई है कि, सीएम शिंदे के बेटे व सांसद श्रीकांत शिंदे व्दारा बालासाहब की शिवसेना में युवा सेना प्रमुख का पद संभाला जाए.
पता चला है कि पूर्वी विदर्भ में युवा सेना छोडने वाले पदाधिकारियों व्दारा सांसद श्रीकांत शिंदे व किरण पांडव के नेतृत्व में आज शाम ही सीएम एकनाथ शिंदे के मुंबई स्थित सरकारी आवास वर्षा बंगले पर बालासाहब की शिवसेना में प्रवेश किया जाएगा. पूर्वी विदर्भ से युवा सेना को छोडने वाले पदाधिकारियों ने नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा, गडचिरोली, गोंदिया, भद्रावती, रामटेक इन क्षेत्रों के शहर प्रमुख, जिला प्रमुख, जिला समन्वयक, उपजिला प्रमुख, विधानसभा समन्वयक व जिला महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम करने वाले पदाधिकारियों का समावेश हैं. जिन्होंने अपने-अपने समर्थकों के साथ ठाकरे गुट को ‘जय महाराष्ट्र’ कर दिया हैं.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि पूर्वी विदर्भ में शिंदे गुट व्दारा की गई इस ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ का पश्चिमी विदर्भ यानी अमरावती शहर व जिले सहित संभाग में कोई असर नहीं दिखाई दिया हैं और अमरावती में युवा सेना का कोई भी पदाधिकारी फिलहाल तक इधर से उधर नहीं हुआ.

* हिम्मत है तो इस्तीफा देकर चुनाव लडे फडणवीस
– पूर्व मंत्री व विधायक आदित्य ठाकरे ने दी चुनौती
वहीं दूसरी ओर औरंगाबाद के दौरे पर पहुंचे ठाकरे गुट वाली युवा सेना के प्रमुख आदित्य ठाकरे ने कहा कि, अगर वे इस समय देवेंद्र फडणवीस के स्थान पर होते तो विधानसभा को भंग कर राज्य में दोबारा चुनाव करवाते. ऐसे में अगर फडणवीस में वाकई हिम्मत है तो उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देते हुए एक बार फिर चुनाव का सामना करना चाहिए. ताकि उन्हें पता चले की आम जनता में अब भी किसका जनाधार.

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