नागपुर/दि. 18 – कोविड उपचार में स्टेरॉयड का अत्यधिक इस्तेमाल से क्या होता है ये नागपुर आकर देखिए. नागपुर में कोरोना कहर की पकड़ बनी ही हुई है कि एक नई बीमारी म्यूकोरमाइकोसिस (ब्लैक फंगस) ने पूरे शहर को अपनी जकड़ में ले लिया है. पिछले कुछ दिनों में नागपुर में इस बीमारी से 7 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. इतना ही नहीं, म्यूकोरमाइकोसिस की बीमारी से जूझ रहे 300 लोगों का इलाज नागपुर के अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के उपसंचालक कार्यालय की ओर से दी गई लिस्ट में ये बात सामने आई है. जिला शल्य चिकित्सक डॉ. देवेंद्र पातूरकर ने इस खबर की पुष्टि की है. विदर्भ क्षेत्र में कोरोना के सबसे ज्यादा केस नागपुर में है. यही वजह है कि ब्लैक फंगस का सबसे ज्यादा संक्रमण आगे भी यहीं होने की आशंका जताई जा रही है.
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अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा मरीजों का इलाज
इस ब्लैक फंगस की चपेट में आए मरीजों में से 129 मरीजों के जबड़े, आंखें, कान-नाक आदि अंगों में सर्जरी की जा चुकी है. इनमें से 43 मरीजों का इलाज एक साथ एक ही मेडिकल अस्पताल में हो रहा है. 42 का सेवेन स्टार अस्पताल, 34 का सरकारी दंत महाविद्यालय व अस्पताल, 33 का न्यूरॉन मिलेनियम अस्पताल, 19 का मेयो अस्पताल, 16 का न्यू ईरा अस्पताल, 10 का ऐरियंस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस और 8 मरीजों का अर्नेजा हार्ट इंस्टीट्यूट में म्यूकोरमाइकोसिस का इलाज चल रहा है.
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‘एम्पोटेरिसिन बी’ की कमी का संकट
कोविड से जूझते हुए उसे मात कर जब मरीज घर आता है तो अपने आप को एक बार फिर म्यूकोरमाइकोसिस जैसी एक नई बीमारी से जूझता हुआ खुद को पाता है. ऐसे में इलाज के लिए वो जब अस्पताल आता है तो दवाइयों की कमी का रोना ही सुनने में आता है. ब्लैक फंगस की जलन को कम करने के लिए एम्पोटेरिसीन बी, फोटॉन, लिपो सोमॉल, एक्टेम्रा के साथ ही खून को पतला करने वी दवाई लो मॉलिक्यूलर हिटरीन जैसी दवाइयों की भी कमी दिखाई दे रही है. इन दवाइयों की मांग की तुलना में सप्लाई में कमी के संकट से जूझने की एक बड़ी चुनौती बनी हुई है.