महाराष्ट्र

तलाक के बाद बच्चे यहीं प्राथमिकता

हाईकोर्ट का निर्णय ; बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी दोनों पालकों की

मुंबई/दि.२६ – तलाक के बाद खावटी के दृष्टिकोण से बच्चे की चिंता व उसकी पढ़ाई यह पालकों की पहली प्राथमिकता होती है. बच्चों की पढ़ाई का खर्च यह दोनों पालकों की संयुक्तिक जिम्मेदारी है, ऐसे विचार दर्ज करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ ने 18 वर्षीय युवक की याचिका को मंजूर करते हुए उसके पिता को उसकी पढ़ाई की जिम्मेदारी लेने के आदेश दिए.
दो वर्ष पूर्व वरुण (बदला हुआ नाम) को 18 वर्ष की उम्र में आयआयटी के लिए धनबाद के मेकेनिकल इंजिनीअरिंग में प्रवेश मिला. लेकिन पैसों के अभाव में उसे प्रवेश लेने व वहां पर रहने में दिक्कतें आ रही थी. उसके पालकों का तलाक हुआ था. पश्चात वह मां के साथ रह रहा था. निर्वाह के लिए ठहराई गई रकम उसके पिता उन्हें दे रहे थे. लेकिन उसकी इंजिनीअरिंग की पढ़ाई के लिए अपने पास पैसे नहीं होने की बात कहकर उन्हें जिम्मेदारी टालने का प्रयास किया. इस वर वरुण ने उच्च न्यायालय में दौड़ लगाई. अपने पर माता, तलाकशुदा बहन व उसके बच्चों की जिम्मेदारी है. फिर भी ठहरायेनुसार हर माह 7,500 रुपए की खावटी देता है, इससे अधिक देना असंभव है, ऐसा उसके पिता ने न्यायालय को बताया. इस युवक के अनुसार उसके पालक शिक्षक होकर दोनों की भी तनख्वाह 48 हजार रुपए से अधिक है. तलाक के बाद अपने पिता ने हमारी दखल नहीं ली, वहीं हमारी ओर ध्यान भी नहीं दिया, हमारी मां को घर चलाना हमारी पढ़ाई का खर्च अकेली को उठाना अपेक्षित है. इसके लिए पिता व्दारा निर्वाह की रकम बढ़ाकर हर महीने 15 हजार रुपए करने, ऐसा युक्तिवाद इस युवक की ओर से किया गया.
पिता व अन्य जिम्मेदारियां हो सकती है, यह मंजूर है. लेकिन तलाक के बाद पालकों की पहली प्राथमिकता बच्चों के बारे में चिंता करना, उनकी पढ़ाई की जिम्मेदारी स्वीकारना है. इस कारण इस युवक की पढ़ाई का खर्च दोनों ने एक साथ करने व पिता ने निर्वाह की रकम बढ़ाकर दें, ऐसे आदेश न्यायालय ने दिए.

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