महाराष्ट्र

NCP के उदय के बाद ही राज्य में जातिवाद बढ़ा

राज ठाकरे के इस आरोप का शरद पवार ने दिया जवाब

मुंबई/दि.16 – राज्य में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के उदय के बाद ही जातिवाद बढ़ा है. यह आरोप महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कुछ दिनों पहले लगाया था. राज ठाकरे के इस आरोप पर अब एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. पत्रकार परिषद आयोजित कर शरद पवार ने कहा कि राज ठाकरे अपने दादा प्रबोधनकार ठाकरे द्वारा लिखी गई बातों को पहले ध्यान से पढ़ें.
राज ठाकरे ने कहा था कि राज्य में जाति का मुद्दा नेताओं की आइडेंटिटी का मुद्दा बन गया है. यह मुद्दा राज्य में एनसीपी के उदय के बाद ज्यादा प्रमुखता से बढ़ता गया. राज ठाकरे ने कहा था, ” कौन है जेम्स लेन? वो बर्नाड शॉ है क्या? आज वो कहां है? यह सबकुछ डिजाइन किया गया है. इसी वजह से शिवाजी महाराज से जुड़ा इतिहास गलत तरीके से लिखा गया. यह करने वाले अमुक जाति के लोग हैं बोला गया.”
दरअसल इस विवाद की पृष्ठभूमि कुछ सालों पहले लिखी गई अमेरिकन लेखक जेम्स लेन की किताब Shivaji- The Hindu King in Muslim India में है. इस किताब में दादाजी कोंडदेव को शिवाजी महाराज से संबंधित बताया गया. आरोप है कि जेम्स लेन को सामने रखकर कुछ ब्राह्मण तबके के लोगों ने पुणे के भंडारकर इंस्टीट्यूट की लाइब्रेरी से इस तरह के रिसर्च उपलब्ध करवाए और जेम्स लेन से ऐसी बातें लिखवाईं. इसके बाद संभाजी ब्रिगेड ने भंडारकर इंस्टीट्यूट में तोड़फोड़ की थी. संभाजी ब्रिगेड के बारे में कहा जाता है कि इस संगठन को शरद पवार का आशीर्वाद प्राप्त है.

जब हमने राज ठाकरे के बयान का मतलब MNS प्रवक्ता संदीप देशपांडे से पूछा तो उन्होंने कहा राज ठाकरे दो बातें कहना चाह रहे हैं. एक तो यह कि महाराष्ट्र में महापुरुषों को किसी जाति विशेष से जोड़ कर देखने की राजनीति NCP के उदय से शुरू होती है. छत्रपति शिवाजी सबके हैं, पूरे देश के हैं, सिर्फ मराठों के नहीं हैं. लेकिन कुछ तबका उसे अपनी जाति से जोड़ कर दिखाने के लिए ज्यादा ही आक्रामक भूमिका निभाता है. जेम्स लेन के मुद्दे पर मनसे प्रवक्ता ने कहा कि राज ठाकरे शायद यह कहना चाह रहे हैं कि कोई आपत्तिजनक बातें किसी मामूली व्यक्ति ने लिख दी है तो उसे इगनोर किया जाना चाहिए. जेम्स लेन कोई बहुत बड़ी हस्ती नहीं है. लेकिन जानबूझ कर एनसीपी (मराठा वोट बैंक वाली पार्टी) ने इस मुद्दे को भुनाया. मराठों और ब्राह्मणों के बीच खाई पैदा कर राजनीतिक फायदा उठाया.
राज ठाकरे के बयान से महाराष्ट्र में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है. सोमवार को अपने पत्रकार परिषद में शरद पवार ने दो वाक्यों का जवाब देकर राज ठाकरे से कहा कि अपने दादा की लिखी हुई बातें पढ़ें.  प्रबोधनकार ठाकरे समाजसुधारक थे और ब्राह्मणवाद के खिलाफ थे.
इस मामले पर संभाजी ब्रिगेड के प्रदेशाध्यक्ष प्रवीण गायकवाड ने भी राज ठाकरे पर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा है, ” राज ठाकरे को जिस तरह से बाबा साहेब पुरंदरे (ब्राह्मण चिंतक जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की गाथाएं लिखी हैं और उनके उत्थान में ब्राह्मणों के योगदान को अच्छी तरह से रेखांकित किया है) से आगे का इतिहास पता नहीं है, उसी तरह उन्हें यहां के राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संघर्ष के बारे में भी कुछ पता नहीं है. राजनीति में कुछ भी नवनिर्माण किए बिना वे राजनीतिक क्षेत्र में असफल साबित हुए हैं और अपने फायदे के लिए एक बार फिर महाराष्ट्र में इन सारी बातों को उभार कर तनाव पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं.”

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