एमएसपी एमएसपीएमएसपी की कानूनी गारंटी लिए बिना अपने घर नहीं जाएंगे आंदोलनकारी किसान
टिकैत ने किया ऐलान
मुंबई/दि २८ -किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि हम सरकार से आमने-सामने बात करना चाहते हैं, लेकिन हमारे लिए दिल्ली महल के दरवाजे बंद हैं. हमें अंदर नहीं दिया जा रहा है. जब तक किसानों की सभी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा. देश में किसानों का जैसा आंदोलन चल रहा है वैसा ही चलता रहेगा. पिछले एक साल से चल रहे किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन चुके राकेश टिकैत रविवार को मुंबई के आजाद मैदान में संयुक्त शेतकारी कामगार मोर्चा के बैनर तले आजाद मैदान में आयोजित ‘किसान महापंचायत’ को संबोधित कर रहे थे.
टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब वो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का न सिर्फ समर्थन कर रहे थे बल्कि एमएसपी में किसानों के हितों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कानून भी चाहते थे. अब किसान एमएसपी की गारंटी मांग रहे हैं तो वो देने के लिए राजी नहीं हैं. किसानों ने ठान लिया है कि इसकी गारंटी बिना वे घर नहीं जाएंगे. इसलिए सरकार से अपील है कि वो एमएसपी की गारंटी के लिए संसद के इसी सत्र में कानून लाए.
रोटियों का बाजारीकरण करना चाहती है सरकार
टिकैत ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार एमएसपी पर गारंटी इसलिए नहीं देना चाहती क्योंकि उद्योगपतियों के गोदाम बना दिए गए हैं, उनमें सस्ता अनाज कैसे जाएगा. सरकार रोटियों का बाजारीकरण करना चाहती है. रेलवे, बंदरगाह, एलआईसी (LIC), मंडियां सभी बेची जा रही हैं. राकेश टिकैत ने चेतावनी दी है जब तक मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा जब तक ये आंदोलन खत्म नहीं होगा. यह संघर्ष लंबा चलेगा.
शहीद किसान परिवारों को मुआवजा
इस दौरान टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन में शहीद होने वाले 750 किसान परिवारों को सरकार मुआवजा दे ताकि उनके परिवारों का भरण पोषण हो सके. किसानों पर जो केस दर्ज हो रहे हैं उन्हें वापस ले. ये सब मसले टेबल पर बैठकर तय करने वाले हैं. इसके अलावा खेती-किसानी से संबंधित और भी मुद्दे हैं जिनका समाधान होना चाहिए.
हम टूटने वाले नहीं हैं: टिकैत
महापंचायत में टिकैत ने कहा कि मैं 10 दिन पहले पालघर गया था. वहां पर आदिवासियों की जमीनें छीनी जा रही हैं. जबकि जल-जंगल और जमीन पर उनका है. हम सब संयुक्त रूप से वहां अलग-अलग झंडा लेकर गए थे. हम किसानों में कोई मतभेद नहीं है. हम किसानों के हक के लिए लड़ रहे हैं. लेकिन सरकार ने हम किसानों को कभी खालिस्तान बताया तो किसी को उग्रवादी बताया. सरकार हम किसानों को तोड़ने की कोशिश कर रही है लेकिन हम टूटने वाले नहीं हैं.
किसानों ने दिखाई ताकत
कृषि कानूनों की वापसी के बाद दिल्ली से बाहर किसी राज्य में किसानों का यह पहला बड़ा जमावड़ा था. जहां पर किसानों ने न सिर्फ अपनी ताकत दिखाई बल्कि एकता भी प्रदर्शित की. महाराष्ट्र के किसान नेता अजित नवले ने बताया की इस महापंचायत में हजारों किसानों ने शिरकत करके बताया कि वो अपनी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी चाहते हैं. महाराष्ट्र के किसान हमेशा देश के किसानों के साथ खड़े हैं. उन्होंने कहा कि किसानों की प्रमुख मांगों को पूरा होने तक किसान आंदोलन जारी रहेगा.