महाराष्ट्र

हवाई यातायात महंगा होने से मावला के गुलाब के निर्यात में कमी

वेलेंटाइन डे के लिए गुलाब उत्पादक किसानों का ध्यान स्थानीय बाजार की ओर

लोणावला/दि.04– मौसम बदलने का फटका गुलाब फूलों की बुआई को बैठा है. बढ़ी हुई बुआई का खर्च, ईंधन दरवृद्धि एवं हवाई यातायात महंगा होने से इस बार गुुलाब के फूलों का निर्यात कम हुआ है. वेलेंटाइन डे निमित्त पुणे जिले से विशेष रुप से मावला से गुलाब के फूलों का बड़ी मात्रा में निर्यात होता है. लेकिन इस बार निर्यात काफी कम हुआ है. निर्यात कम हुआ है, फिर भी 14 फरवरी को होने वाले प्रेम दिन के लिए देशभर के स्थानीय बाजारों में गुलाब फुलों की मांग होने से किसानों को समाधानकारक कीमत मिल रही है.
वेलेंटाइन डे निमित्त गुलाब फूलों की मांग बड़े पैमाने पर होती है. स्थानीय बाजारपेठ में इस बार 50 से 60 लाख गुलाब फुलों की बिक्री होगी. वहीं विदेश के बाजारों में इस बार 25 से 30 लाख फुलों की बिक्री होगी. मात्र, गत कुछ वर्षों का विचार किया जाये तो गुलाब फूलों के निर्यात में कमी होने की जानकारी मावला के किसान व पवना फूल उत्पादक संघ के अध्यक्ष ठाकर ने दी.
गत वर्ष कोरोना संसर्ग के कारण फूलों की मांग कम हुई थी. कड़े निर्बंधों के कारण सार्वजनिक कार्यक्रम, विवाह समारोह की उपस्थिति पर मर्यादा थी. मंदिर भी बंद रहने से फूलों की मांग काफी कम हुई थी. फूल नाशवंत होने के कारण बुआई किए गए फूल किसानों ने फेंक दिए थे. नवंबर महीने के बाद फिर से फूलों की मांग बढ़ी. परिस्थिति सुधरते समय फिर से तीसरी लहर आयी और फूल बिक्री पर असर हुआ. कोरोना संसर्ग, ईंधन दरवृद्धि के कारण खाद, कीटकनाशक की कीमतें बढ़ने से बुआई खर्च में 30 से 35 प्रतिशत से वृद्धि हुई है.
* ऐसी दरवृद्धि…
गत वर्ष हवाई यातायात के माध्यम से गुलाब फूल भेजने के लिए प्रति किलो 225 रुपए किराया वसुला गया.इसमें इस बार काफी वृद्धि होने से किराया प्रति किलो 385 रुपए हुआ है.
* विदेशी बाजार के लिए फिर से मेहनत
हवाई यातायात महंगा होने से विदेश के फूल आयातदारों ने भारतीय बाजार पेठ की बजाय अफ्रिका के केनिया. इथोपिया इन देशों से फूलों का आयात किया. जिसके चलते निर्यात पर असर हुआ. इस वषर्ष विदेशी बाजार में गुलाब फूल की एक डंडी को 14 से 15 रुपए व भारतीय बाजार में 12 से 13 रुपए दर मिला है. कीमत में काफी तफावत न होने से फूल उत्पादक किसानों ने स्थानीय बाजार में बिक्री के लिए फूल भेेजे हैं. विदेशी बाजार हासिल करने के लिए मेहनत करनी पड़ेगी. ऐसा फूल उत्पादकों का कहना है.

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