चंद्रपुर-दि.23 समीपस्थ गोंडपिंपरी तहसील के वटराना गांव में रहनेवाले नितेश मेश्राम को वॉटर हार्वेस्टिंग हेतु शोष गढ्ढा खोदते समय चांदी से बने दो सिक्के बरामद हुए. जिन पर फारसी भाषा में कलमा उकेरा गया है. ये सिक्के मूगल बादशाह अकबर और औरंगजेब कालीन है, जो 15 वें व 16 वें शतक के दौरान चलन में हुआ करते थे. मेश्राम ने इन दोनों सिक्कोें को बडे जतन के साथ रखा है और इन सिक्कों के चलते चंद्रपुर के इतिहास में और भी अधिक इजाफा हो गया है.
बता दें कि, चंद्रपुर जिले के साथ ऐतिहासिक विरासत जुडी हुई है और यहां पर गोंड राजाओं के वैभवशाली इतिहास की गवाही देनेवाली कई वास्तुएं आज भी मौजूद है. वहीं अब इसमें एक और पन्ना जुड गया है. नितेश मेश्राम को मिले सिक्कों का वजन 11 ग्राम है. इन सिक्कों पर फारसी भाषा में लिखे कलमा का अशोकसिंह ठाकूर ने वाचन करते हुए यह सिक्के मूगल बादशाह अकबर व औरंगजेब कालिन रहने की बात कही और इन सिक्कों को 15 वें व 16 वें शतक में ढाला गया था. उल्लेखनीय है कि, किसी समय गोंडपिंपरी तहसील मुगलों के कब्जे में थी और शायद उस समय वटराणा ने मुगल सैनिकों की बस्ती या छावनी रही हो. यदि इस क्षेत्र में किसी इतिहासवेत्ता द्वारा संशोधन किया जाता है, तो मुगलकाल से जुडे इतिहास पर रोशनी पड सकती है. ऐसी संभावना इतिहास अभ्यास निलेश झाडे द्वारा व्यक्त की गई.
* क्या है सिक्कों में
गोलाकार रहनेवाला चांदी का सिक्का औरंगजेब का है और इस सिक्के पर फारसी भाषा में ‘सिक्का जद दर जहान चू बदरे मुनीर, शाह औरंगजेब आलमगीर, हिजरी सन 1111’ लिखा हुआ है. वही चौकोना सिक्का अकबर का है. जिस पर अकबर का नाम उकेरा रहने के साथ ही हिजरी सन 993 लिखा हुआ है.