अलीबाग की सफेद प्याज की बिक्री तथा बुआई जोरो पर
छोटी प्याज की १५० तथा बडी प्याज की २५० रूपये से बिक्री
अलिबाग/दि.१४– अच्छा स्वाद और औषणी के गुणधर्म के कारण प्रसिध्द अलिबाग की सफेद प्याज की इस बार फसल कटाई की शुरूआत हो गई है. यह प्याज अब बिक्री के लिए अब बाजार में आने लगी है. छोटी प्याज १५० रूपये तथा बडी प्याज २५० रूपये किलो की दर से यह प्याज बेची जा रही है. मांग बढने की तुलना में आपूर्ति कम होने से प्याज के दाम बढ रहे है.
अलिबाग तहसील में मुख्य रूप से नेहुली, खंडाले, कार्ले, तलवली इस गांव में सफेद प्याज की फसल बोयी जाती है. उसके बाद अलीबाग तहसील के अन्य गांवों में भी सफेद प्याज किसान बोने लगे है. इससे पूर्व अलीबाग तहसील के १०० हेक्टर पर सफेद प्याज का रोपण हो रहा है. इस बार अलीबाग के तहसील में २२७ हेक्टर पर सफेद प्याज का रोपन किया गया है.
रायगड जिले में खरीफ सीजन में चावल की फसल बडे प्रमाण में की जाती है. किंतु रब्बी सीजन में सिंचाई क्षेत्र छोडकर अधिकतर फसल नहीं बोयी जाती. जिले में नमी के क्षेत्र अधिक न होने से दुसरी बार और तीसरी बार आसपास खेती नहीं की जाती. विगत कुछ वर्षो में यह स्थिति बदलने की शुरूआत हो गई है. चावल की कटाई के बाद जमीन में नमी दो माह तक रहने से सफेद प्याज जैसी फसल की बुआई करने की शुरूआत हो गई है.
इस प्याज को मांग अधिक और अच्छी कीमत मिलने से विगत कुछ वर्षो में पास के ही गांव में सफेद प्याज बोने की शुरूआत होने लगी. विगत वर्ष २३० हेक्टर पर सफेद प्याज का रोपण किया गया था. इस साल सफेद प्याज के क्षेत्र कुछ हद तक कम हो गये है. इस बार केवल अलीबाग तहसील में २२७ हेक्टर क्षेत्र में सफेद प्याज का रोपन किया गया. बेमौसम बारिश के कुछ प्रमाण में प्याज की बुआई पर परिणाम हुआ है. फसल खराब होने से रोपण के क्षेत्र भी कम हो गये है.
इसके बाद फसल अच्छी आयी है. सफेद प्याज का आकार बढा होने से प्याज को अच्छे दाम भी मिल रहे है. शुरूआत में ३५० रूपये दर से प्याज की माला बेची गई.अब बाजार में आवक बढ जाने से छोटी प्याज १५० से २०० रूपये माला तथा बडी प्याज १५० से २८० रूपये प्रति माला कीमत से सफेद प्याज बेची जा रही है. जिसके कारण किसानों को राहत मिली है.
* भौगोलिक मानांकन के कारण मांग बढी
स्वाद और औषधी गुणधर्म वाले अलीबाग के सफेद प्याज को विगत वर्ष में भौगोलिक मानांकन प्राप्त हुआ है. जिसके कारण इस प्याज की मांग बडी संख्या में बढ गई है. किंतु इसकी तुलना में इस साल उत्पादन नहीं बढा. इससे पूर्व रायगढ जिले में इस प्याज की मांग अधिक थी. अब केवल मुंबई, ठाणे और पुणे जिले से भी प्याज की मांग हो रही है.
* निर्यात के लिए प्रयास
इस प्याज का उत्पादन सेंद्रीय तरीके से किया जाता है. रासायनिक खाद और कीटनाशको का उपयोग नहीं किया जाता. जिसके कारण प्याज को आंतराष्ट्रीय बाजार में अच्छी कीमत मिल सकती है. सफेद प्याज को भौगोलिक मानांकन प्राप्त होने के बाद अब प्याज के निर्यात के लिए प्रयास शुरू है. किसानों को इसके लिए कृषि विभाग द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है. इस साल उत्पादन कम होने से निर्यात नहीं हो सका फिर भी अगले साल इस प्याज का निर्यात करने का उद्देश्य रहेगा. ऐसी जानकारी कृषि उपसंचालक दत्तात्रय काळभोर ने दी.