महाराष्ट्र

संयुक्त परिवार की कमाई से खरीदी गई संपत्ति में सभी भाइयों का हक : हाईकोर्ट

सिटी सिविल कोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसले को किया रद्द

मुंबई /दि.15- बॉम्बे हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि संयुक्त परिवार की कमाई से खरीदी गई संपत्ति में सभी भाइयों का हक है. इस मामले का निर्णय केवल पंजीकृत (रजिस्टर में दर्ज) दस्तावेज के आधार पर नहीं किया जा सकता है. निचली अदालतों को प्रतिवादियों की दलीलों को ध्यान में रखना चाहिए. अदालत ने रायगढ़ के सिटी सिविल कोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए सिविल कोर्ट को मुकदमे की सुनवाई कर यथाशीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति एन. जे. जमादार की एकल पीठ ने नवी मुंबई निवासी रामशेठ साहेबराव वाघमारे की याचिका पर अपने फैसले में कहा कि जिस बिक्री विलेख के तहत संपत्ति अर्जित की गई थी, उससे पता चलता है कि यह केवल प्रतिवादी (भाई) के नाम पर अर्जित की गई थी. याचिकाकर्ता ने वास्तव में उस बिक्री विलेख के साक्षी के रूप में कार्य किया था. जबकि प्रतिवादी ने खुद स्वीकार किया कि मुकदमे की संपत्ति तीनों भाइयों द्वारा संयुक्त परिवार की आय से अर्जित 14 संपत्तियों में से एक थी. निचली अदालतों को इसे महत्व देना आवश्यक था. संपत्ति संयुक्त परिवार के फंड से अर्जित की गई थी. इसे खारिज करना मुश्किल होगा.

* क्या है मामला
रायगढ़ जिले के कालापुर तहसील स्थित हलखुर्द में एक भाई ने दूसरे भाई से भूमि खरीदने के लिए पैसे मांगे. उसने बड़े भाई को बताया कि भूमि उसके नाम से ली जा रही है. जबकि उसने उस भूमि को अपने नाम से लिया और बड़े भाई से कागजात पर गवाह के रूप में हस्ताक्षर करवा लिया. जब बड़े भाई ने उससे भूमि के कागजात मांगे, तो उसे कागजात नहीं दिए. बाद में वह उस भूमि को अपनी पत्नी के नाम कर दिया. विवाद बढ़ने पर बड़े भाई ने सिटी सिविल कोर्ट में अपने हक के लिए मुकदमा किया. उसके आवेदन को सिटी सिविल कोर्ट और ट्रायल कोर्ट ने छोटे भाई की पत्नी के नाम पर भूमि के कागजात होने का हवाला देकर आवेदन खारिज कर दिया.

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