वन विभाग द्वारा निजी जमीन खुद की समझकर रेलवे को देने का आरोप
पीडित किसानों की हाईकोर्ट में गुहार
नागपुर /दि. 14– वन विभाग ने यवतमाल जिले के दारव्हा तहसील के सेवानगर की निजी जमीन खुद की समझकर रेलवे विभाग को दी, ऐसा आरोप करते हुए दो पीडित किसानों ने मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की है.
न्यायालय ने रेलवे विकास निगम, वन विभाग, जिलाधिकारी व अन्य संबंधित प्रतिवादियों को नोटिस भेजकर इस पर आगामी 4 फरवरी तक जवाब मांगा है. साथ ही रेलवे विभाग द्वारा वन विभाग को जमीन की भरपाई के रुप में दी गई रकम जैसे थे रखने के निर्देश दिए है. इस प्रकरण पर न्यायमूर्ति नितिन सांबरे व न्यायमूर्ति वृषाली जोशी के समक्ष सुनवाई हुई. उत्तम जाधव व श्यामराव राठोड यह दो याचिकाकर्ता किसान के नाम है. वर्धा से नांदेड तक ब्रॉडगेज रेल लाईन बिछाई जा रही है. इसके लिए वन विभाग ने याचिकाकर्ता की जमीन रेलवे को दी है. इस संदर्भ में 3 जुलाई 2023 को आदेश जारी किया गया है. यह जमीन आरक्षित वन जमीन रहने की जानकारी आदेश में दर्ज की गई है. इसके अलावा इस जमीन का आरक्षण रद्द करने के लिए सक्षम विभाग को प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया गया है. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने राजस्व अधिकारी के पास शिकायत की. लेकिन कोई कदम नहीं उठाए गए, ऐसा याचिका में दर्ज किया गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से एड. रेणुका शिरपुरकर ने काम संभाला.