महाराष्ट्र

वैवाहिक विवाद आपसी समझौते से सुलझने कानून में हो संशोधन

हाईकोर्ट का सुझाव, आंध्र प्रदेश की तर्ज पर कदम उठाए महाराष्ट्र सरकार

मुंबई/दि.30 – बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को वैवाहिक विवाद पैदा होने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए (दहेज उत्पीडन व क्रूरता) के तहत दर्ज अपराध को आपसी समझौते से सुलझाने की छूट देने के लिए कानून में जरुरी संशोधन पर विचार करने को कहा है. न्यायमूर्ति नितीन जामदार व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने कहा कि, आंध्र प्रदेश ने पहले से ही इस विषय पर सकारात्मक कदम उठाकर धारा 498ए को कंपाउंडेबेल अफेंस (ऐसा अपराध जिसे आपसी समझौते से सुलझाया जा सके) की सूची में शामिल कर लिया गया है. ऐसे में हम अपेक्षा करते हैं कि, महाराष्ट्र सरकार भी आंध्र प्रदेश की तर्ज पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 320 में जरुरी निर्बंधों के साथ संशोधन करने पर विचार करें और पक्षकारों को अदालत (मजिस्ट्रेट कोर्ट) की अनुमति से समझौते के तहत 498ए के तहत मामले को सुलझाने की छूट दे.

पक्षकारों को खर्च से मिलेगी राहत

राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वे इस विषय को सरकार के समक्ष विचार के लिए रखेंगे. हाई कोर्ट ने कहा कि, इससे न सिर्फ उच्च न्यायालय में ऐसे मामलों का बोझ कम होगा बल्कि पक्षकारों को भी मुकदमें के खर्च से राहत मिलेगी. हाईकोर्ट में बडी संख्या में 498ए के तहत दर्ज मामलों को आपसी सहमति से रद्द करने की मांग को लेकर याचिकाएं दायर होती हैं. इसके मद्देनजर कोर्ट ने उपरोक्त बात कहीं है.

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