मुंंबई/दि.8 – महिलाओं पर होनेवाले अत्याचारों को नियंत्रित करने हेतु कठोर सजा का प्रावधान रहनेवाले शक्ति कानून में विधान मंडल की संयुक्त समिती द्वारा सुझाये गये संशोधनों की रिपोर्ट सोमवार को विधानसभा में रखी गई. जिसके चलते अब महिला अत्याचारों से संबंधित मामलों के लिए विशेष सरकारी वकीलों की संख्या बढेगी. साथ ही अपराध दर्ज करने को लेकर संभ्रम व संदिग्धता खत्म होंगे. जिसके चलते शक्ति कानून अब और भी अधिक प्रभावी होगा.
वर्ष 2020 के विधानसभा विधेयक क्रमांक 52 महाराष्ट्र अनन्य विशेष न्यायालय (शक्ति कानून के तहत महिलाओं व बच्चों के खिलाफ विवक्षित अपराधों के लिए) विधेयक 2020 पर दोनों सदनों की संयुक्त समिती के इतिवृत्त को गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटील ने गत रोज विधानसभा में रखा. महिलाओं व बच्चों के संदर्भ में होनेवाले अपराधिक मामलों में लिप्त आरोपियों पर जांच के जरिये बिना विलंब दोष सिध्दी करने हेतु विशेष न्यायालय स्थापित करने के लिए यह विधेयक लाया गया है. इस विधेयक को 14 दिसंबर 2020 को विधानसभा में रखा गया था. पश्चात इसे विचार-विमर्श हेतु दोनों सभागृहों की सहमति के बाद संयुक्त समिती के पास भेजा गया था. पश्चात 1 फरवरी 2022 से अब तक संयुक्त समिती की कुल 4 बैठकें हो चुकी है. इन बैठकों में समिती ने संबंधितों से प्राप्त विविध सूचनाओें व सुझाओें को ध्यान में रखते हुए विधेयक पर खंडनिहाय विचार-विमर्श किया और विधेयक में किये जानेवाले संशोधनों को अंतिम स्वरूप दिया. शक्ति कानून के मूल प्रस्ताव में एक विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति किये जाने का उल्लेख था. जिसके चलते केवल एक विशेष सरकारी वकील की नियुक्ति की जायेगी और उसी वकील को सभी मामले संभालने होंगे. ऐसा संदेश निकल रहा था. जिसमें बदलाव करते हुए एक विशेष सरकारी वकील तथा एक या एक से अधिक अतिरिक्त सरकारी वकील की नियुक्ति का संशोधन समिती द्वारा किया गया. इसी तरह खंड-8 में जांच हेतु विशेष पुलिस पथक स्थापित करने का प्रावधान था. किंतु इसमें अत्याचार का अपराध स्थानीय पुलिस थाने में दर्ज कराया जाये, या विशेष पुलिस पथक के पास दर्ज किया जाये. इसे लेकर संदिग्धता थी. जिसे दूर करने हेतु खंड-8 के पूरे मसौदे को बदल दिया गया. ऐसे में अब विशेष पुलिस पथक या पथकों की स्थापना जिला पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्तालय स्तर पर होगी. साथ ही ऐसे मामलोें में दोषी पाये गये अपराधियों का ब्यौरा रखने हेतु महिला व बाल अपराध नोंदवही के लिए इलेक्ट्रॉनिक इस अंग्रेजी शब्द हेतु मराठी में विजकिय शब्द का इस मसौदे में प्रयोग किया गया था. इसे बदलकर इलेक्ट्रॉनिक शब्द का प्रयोग करने का ही संशोधन सुझाया गया है.
विशेष जांच पथक
विधेयक में किये गये संशोधन के मुताबिक विशेष पुलिस पथक या पथकोें की स्थापना जिला पुलिस अधीक्षक या आयुक्तालय स्तर पर की जायेगी. प्रत्येक पथक में कम से कम एक महिला पुलिस अधिकारी या महिला पुलिस कर्मचारी का समावेश रहेगा. इस विशेष पुलिस पथक में जिला पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्तालय की अपराध शाखा के अधिकारियों को प्राधान्य दिया जायेगा. अपराधों को स्थानीय पुलिस थाने में ही दर्ज किया जायेगा. पश्चात अपराधों की गंभीरता को देखते हुए इन्हेें जांच हेतु विशेष पुलिस पथक के पास सौेंपने का अधिकार जिला पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्त के पास रहेगा. साथ ही विशेष पुलिस पथक को अन्य अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों एवं साहित्य सामग्री का सहयोग दिया जायेगा. ऐसा प्रावधान भी इस संशोधित मसौदे में किया गया है.