अनिल देशमुख के बचने के सारे रास्ते बंद, गिरफ्तारी का रास्ता खुला?
सुप्रीम कोर्ट ने सारी मांगें ठुकराई
मुंबई/दि.16 – पूर्व गृहमंत्री और एनसीपी नेता अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के लिए अब आखिरी रास्ता भी नहीं बचा. उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली. उनकी सारी मांगें सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी है. देशमुख के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर केस दर्ज किया है. इसके खिलाफ देशमुख सुप्रीम कोर्ट चले गए थे. सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने याचिका दायर कर अलग-अलग मांगें रखी थीं.
देशमुख ने सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ चल रही जांच को स्थगित करने की मांग की थी. ईडी द्वारा भेजे जा रहे समन्स को रद्द करने की मांग की थी और संभावित गिरफ्तारी रोकने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने अनिल देशमुख की याचिका की सारी मांगें ठुकरा दी. कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रावधानों में रह कर ही कानूनी उपाय किए जा सकते हैं. प्री अरेस्ट बेल के लिए वे मुंबई के स्थानीय न्यायालय में अपील करें. इस बारे में स्थानीय अदालत ही फैसले लेती है. सुप्रीम कोर्ट इसमें उनकी कोई मदद नहीं कर सकता.
अनिल देशमुख को ईडी ने कई बार पूछताछ के लिए समन भिजवाया लेकिन देशमुख हाजिर नहीं हुए. देशमुख के अलावा उनके बेटे और पत्नी को भी समन भेजा गया लेकिन वे दोनों भी ईडी दफ्तर में पूछताछ के लिए हाजिर होने से मना कर दिया. इसके लिए वे कभी बीमारी, कभी कोविड तो कभी उम्र का हवाला देते रहे. यह भी तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी हुई है. उसपर सुनवाई चल रही है. सुनवाई चलते हुए पूछताछ के लिए आने का कोई मतलब नहीं है. इस बीच ईडी ने अनिल देशमुख के कई ठिकानों पर छापेमारी कर 4.20 करोड़ की संपत्ति जब्त की है. ईडी ने दावा किया था कि अनिल देशमुख ने बार मालिकों से पुलिस अधिकारी सचिन वाजे द्वारा 4.70 करोड़ रुपए की वसूली करवाई. सचिन वाजे ने यह रकम उन्हें दी. इस रकम को अनिल देशमुख ने अपने बिजनेस में इंवेस्ट किया.
याद दिला दें कि मुंबई के पूर्व कमिश्नर ने अनिल देशमुख पर आरोप लगाया था कि वे गृहमंत्री के पद पर रहते हुए मुंबई के पुलिस अधिकारियों का इस्तेमाल होटल और रेस्टॉरेंट मालिकों से 100 करोड़ की वसूली के लिए कर रहे थे. इसके बाद सीबीाई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था.
इससे पहले ठाकरे सरकार ने अनिल देशमुख प्रकरण में कोर्ट का रुख किया था. सीबीआई ने अनिल देशमुख के विरोध में केस दर्ज किया था. राज्य सरकार ने मांग की थी कि इस केस से जुड़े दो पैराग्राफ रद्द किए जाएं. राज्य सरकार ने इसके लिए मुंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) में याचिका दाखिल की थी. लेकिन यह याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठुकरा दी. और अब ईडी वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी देशमुख को झटका दे दिया है.
इसके बाद भाजपा नेता किरीट सोमैया ने यह दावा किया है कि अनिल देशमुख का बचना अब मुश्किल है. अब उन्हें सचिन वाजे के साथ जेल में बैठना पड़ेगा. अपनी 1000 करोड़ की बेनामी संपत्ति का हिसाब देना पड़ेगा. किरीट सोमैया ने कहा है कि उन्होंने अब ईडी से अपील की है कि वे जल्दी से जल्दी अनिल देशमुख के खिलाफ लुक आउट नोटिस और नॉन बेलेबल वारंट जारी करे.
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राज्य सरकार का दावा क्या ?
सीबीआई ने अपने एफआईआर में इस बात का जिक्र किया है कि सस्पेंड पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को पुलिस टीम में फिर से बहाली और पुलिस अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग में अनिल देशमुख गृहमंत्री रहते हुए अनावश्यक हस्तक्षेप किया करते थे. राज्य सरकार की मांग थी कि सीबीआई के एफआईआर से इन दो मुद्दों को हटा दिया जाए. ये दोनों मुद्दे मंत्रालय से जुड़े और प्रशासकीय कामों से जुड़े हैं. इसे सीबीआई बिना वजह जांच का विषय बना रही है. राज्य सरकार ने अपने याचिका में कहा था कि महाविकास आघाडी सरकार को अस्थिर करने के लिए ही सीबीआई ने देशमुख पर केस दर्ज किया है.