मुंबई/दि.३१- केंद्र सरकार के 3 कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में पहले समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल शुरू करने की घोषणा की थी. लेकिन बाद में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में उन्होंने अपना यह ऐलान वापस ले लिया था. अब शिवसेना ने इसे लेकर अपने मुखपत्र सामना में अन्ना हजारे और बीजेपी पर निशाना साधा है. सामना में शिवसेना ने यह भी कहा है कि अब अन्ना को यह बताना चाहिए कि वह किसानों के साथ हैं या अन्ना के साथ हैं?
सामना में अण्णा किसकी ओर नाम से संपादकीय प्रकाशित किया गया है. इसमें लिखा गया है, मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते अन्ना हजारे दो बार दिल्ली आए और उन्होंने जोरदार आंदोलन किया. इस आंदोलन की मशाल में तेल डालने का काम तो बीजेपी कर रही थी लेकिन पिछले सात वर्षों में मोदी शासन में नोटबंदी से लॉकडाउन तक कई निर्णयों से जनता बेजार हुई, लेकिन अन्ना ने करवट भी नहीं बदली, ऐसा आरोप भी होता रहा है. मतलब आंदोलन सिर्फ कांग्रेस के शासन में करना है क्या? बाकी अब रामराज अवतरित हो गया है क्या?
सामना में आगे लिखा गया है, अन्ना हजारे की ओर से अनशनका अस्त्र बाहर निकालना और बाद में उसे म्यान में डाल देना, ऐसा इससे पहले भी हो चुका है. इसलिए अभी भी हुआ तो इसमें अनपेक्षित जैसा कुछ नहीं था. बीजेपी नेताओं द्वारा दिए गए आश्वासन के कारण अन्ना संतुष्ट हो गए होंगे तो यह उनकी समस्या है.
शिवसेना की ओर से सामना में यह भी लिखा गया है, किसानों के मामले में दमन का फिलहाल जो चक्र चल रहा है, कृषि कानूनों के कारण जो दहशत पैदा हुई है बुनियादी सवाल उसे लेकर है. इस संदर्भ में एक निर्णायक भूमिका अन्ना निभा कर रहे हैं और उसी दृष्टिकोण से अनशन कर रहे हैं, ऐसा दृश्य निर्माण हुआ था, परंतु अन्ना ने अनशन पीछे ले लिया. इसलिए कृषि कानून को लेकर उनकी निश्चित तौर पर भूमिका क्या है, फिलहाल तो यह अस्पष्ट ही है.