मुंबई/दि.28 – देश में दूसरी लहर गई नहीं है कि तीसरी लहर आने की आहट के बीच एक राहत की खबर है. अब अगर तीसरी लहर आई भी तो समझिए मुंबई के बच्चे बच गए. देश में सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 21 डेल्टा प्लस वेरिएंट (Delta Plus Variant) के मरीज पाए गए हैं. इनसे ही तीसरी लहर का खतरा बताया जा रहा है. बताया जा रहा है तीसरी लहर का सबसे ज्यादा कहर बच्चों पर टूटेगा.
लेकिन मुंबई के बच्चों के लिए इन चिंताओं के बीच एक दिलासा देने वाली खबर है. तीसरी लहर के खतरों को देखते हुए पहले से ही सावधानियों के तौर पर मुंबई के बच्चों पर एक सर्वे करवाया गया. इस सीरो सर्वे में यह खुलासा हुआ कि मुंबई के 50 फीसदी से ज्यादा बच्चों में कोरोना एंटिबॉडी पाई गई है.
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मुंबई के 10 से 14 साल के 53.43 फीसदी बच्चे पहले ही कोरोना संक्रमित हो चुके
सर्वे के मुताबिक मुंबई के 50 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है. 51 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट पाया गया. 10 से 14 साल की उम्र के 53.43 फीसदी बच्चे पहले हो कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. बीएमसी द्वारा चौथी बार इस तरह का सीरो सर्वे करवाया गया है. बीएमसी ने जुलाई 2020 में पहला और अगस्त 2020 में दूसरा सीरो सर्वे करवाया था. इसके बाद मार्च 2021 में सभी 24 वार्डों में तीसरा सीरो सर्वे करवाया गया. इसके बाद चौथा सीरो सर्वे जून में 18 से कम उम्र के बच्चों पर किया गया. जिसकी रिपोर्ट आज (सोमवार ) आई. इस सर्वे में बच्चों को चार भागों में बांटा गया. 1 से 4 साल की उम्र के 51.04 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई. 5 से 9 साल के बच्चों में 47.33 प्रतिशत एंटीबॉडी मिली. 10 से 14 साल के बच्चों में सबसे ज्यादा यानी 53.43 प्रतिशत बच्चों मेें एंटीबॉडी पाई गई. वहीं 15 से 18 साल के बच्चों में 51.39 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई है. जबकि तीसरे सीरो सर्वे के दौरान कुल 39.4 प्रतिशत बच्चों में एंटीबॉडी मिली थी.
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क्या होता है सीरो टेस्ट, क्या होती है एंटीबॉडी ?
सीरॉलॉजिकल टेस्ट एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है. जो व्यक्ति के खून में मौजूद एंटीबॉडी की पहचान करता है. ब्लड में अगर रेड ब्लड सेल को निकाल दिया जाए, तो जो पीला पदार्थ बचता है, उसे सीरम कहते हैं. इस सीरम में मौजूद एंटीबॉडीज से अलग-अलग बीमारियों की पहचान के लिए अलग-अलग सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं. मुंबई में यह सीरो सर्वे पहली बार नहीं हुआ है. लेकिन इस सर्वे में एंटीबाॉडी वाले बच्चों का प्रतिशत तेजी से बढ़ा है.
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क्या एंटीबॉडी होने से इन बच्चों को कोरोना नहीं होगा ?
इसका मतलब यह हुआ कि मुंबई के 50 फीसदी बच्चों में पहले ही कोरना संक्रमण (Corona Virus) हो चुका है और वे कोरोना से ठीक भी हो चुके हैं. इस वजह से इनके शरीर ने उसके ख़िलाफ़ एंटीबॉडी विकसित कर ली है. ऐसे में अगर कोरोना की तीसरी लहर आती भी है तो इन बच्चों के शरीर में एक प्रोटेक्शन मैकेनिज्म डेवलप हो जाने से वायरस शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा. वायरस का हमला होते ही प्रोटेक्टिव मैकेनिज्म एक्टिवेट हो जाएगा और वह वायरस को शरीर में घुसने से रोक देगा.
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इस तरह मुंबई के 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों में पाई गई एंटीबॉडी
मुंबई महानगरपालिका (BMC) के नायर अस्पताल में और कस्तूरबा मोलेक्यूलर डायग्नॉस्टिक लेबोरेट्री के माध्यम से सर्वे करवाया गया था. बच्चों में कोरोना के तीसरी लहर का सबसे ज्यादा असर होने की आशंकाओं को देखते हुए बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल और एडिशनल कमिश्नर सुरेश काकाणी ने कोरोना की दूसरी लहर के दरम्यान ये सीरो सर्वे करने के निर्देश दिए थे. 1 अप्रैल 2021 से 15 जून 2021 के बीच ये सर्वे किए गए. इस सर्वे में मुंबई के 24 वॉर्ड से कुल 2 हजार 176 सैंपल्स जमा किए गए. इसके बाद जो सर्वे किया गया उसमें 50 प्रतिशत से ज्यादा बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई.