विश्वस्त मंडल नियुक्त करें, नहीं तो अवमानना की होगी कार्यवाही
हाइकोर्ट की राज्य सरकार को फटकार
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श्री साईबाबा संस्थान समिति पर विश्वस्त मंडल नियुक्त करने हेतु अंतिम अवसर; शासन के पास दो सप्ताह का समय
औरंगाबाद/प्रतिनिधि दि.११ – अवसर देने के बाद भी राज्य शासन ने शिर्डी के श्री साईबाबा संस्थान के पूरे समय का विश्वस्त मंडल अब तक नियुक्त न किये जाने की हाईकोर्ट ने गंभीर दखल ली है. हाल ही मेंं हुई सुनवाई में औरंगाबाद खंडपीठ ने संस्थान पर पूरे समय विश्वस्त मंडल चयन हेतु राज्य सरकार को अंतिम अवसर दिया. न्या. एस.वी. गंगापूरवाला और न्या. एस.डी. कुलकर्णी की खंडपीठ व्दारा कहा गया कि दो सप्ताह में शासन व्दारा निर्णय न लिये जाने पर अवमानना की कार्यवाही की जायेगी.
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2019 से समिति संस्थान का कारभार संभाल रही थी
भक्त मंडल जाने के बाद वर्ष 2004 में विश्वस्त मंडल आया. तीन वर्ष की काल मर्यादा तय की गई. 28 जुलाई 2016 को शासन व्दारा 17 में से 11 विश्वस्तों की नियुक्ति की गई थी. कुछ सदस्यों व्दारा समिति की लगातार तीन बैठक में अनुपस्थिति दर्ज कराने से समिति अधिनियम कलम 7 (3) अनुसार उनके पद संपुष्ट में लाने की अधिसूचना राज्य शासन व्दारा घोषित की गई थी. शिर्डी के पूर्व विश्वस्त उत्तमराव शेलके ने साईबाबा संस्थान ट्रस्ट मेंं नये विश्वस्त मंडल नियुक्त करने के लिये जनहित याचिका दाखल की गई थी. 9 अक्तूबर 2019 को हाइकोर्ट ने इस मामले में विश्वस्त मंडल नियुक्त किये जाने तक चार सदस्यीय समिति गठित करने के आदेश दिये थे. जिसमें साईबाबा संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अतिरिक्त विभागीय आयुक्त, नाशिक व सह धर्मादाय आयुक्त, अहमदनगर का समावेश था. तब से यह समिति संस्थान का कारभार संभाल रही थी. वहीं उच्च न्यायालय की अनुमति से नियोजनात्मक व आर्थिक निर्णय ले रही थी.
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दो माह की कालावधि बीत गई
शेलके की तरफ से एड. प्रज्ञा तलेकर ने युक्तिवाद किया. फिलहाल की समिति के सदस्यों में विवाद है. इस मार्च माह में हुई सुनवाई में राज्य सरकार व्दारा दो महीने में विश्वस्त समिति स्थापित करने की घोषणा की गई थी. अब उसे काफी कालावधि बीत गया है. इस कारण राज्य सरकार व्दारा जल्द से जल्द विश्वस्त मंडल नियुक्त किया जाये, ऐसा मुद्दा एड. तलेकर ने रखा. सरकारी वकिलों को कोरोना की स्थिति में मंडल के चयन हेतु समय बढ़ाकर देने की विनती की गई. लेकिन न्यायालय ने आगामी दो सप्ताह में विश्वस्त मंडल का चयन करने कहा. एड.तलेकर को एड. उमाकांत आवटे और एड. अजिंक्य काले ने सहकार्य किया. मुख्य सरकारी वकील के रुप में डी.आर.काले ने काम देखा.