कर्ज वसूली के लिए मध्यस्थी की नियुक्ति ठहराई अवैध
जिला व सत्र न्यायालय का फैसला, कर्जदार को राहत
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यवतमाल /दि.15– मकान दुरुस्ती के लिए 5 लाख 50 हजार रुपए का कर्ज मार्च 2014 में राजलक्ष्मी मल्टीस्टेट क्रेडिट को ऑपरेटीव सोसायटी से लिया. इस प्रकरण में सोसायटी द्वारा मध्यस्थी के माध्यम से अप्रै 2019 को कर्जदार के खिलाफ एकतरफा रिपोर्ट पारित की. साथ ही उसकी संपत्ति जब्त करने का विज्ञापन प्रकाशित किया. इस प्रकरण में कर्जदार द्वारा जिला व सत्र न्यायालय में याचिका दायर की गई. न्यायालय ने आरबी ट्रेटर की रिपोर्ट रद्द की. इस कारण संपत्ति जब्ती की कार्रवाई रुक गई.
जानकारी के मुताबिक स्थानीय कमला पार्क निवासी गजानन वसंत शिरभाते और विठ्ठलवाडी निवासी दीपक सोपानराव डेहनकर ने मकान दुरुस्ती के लिए राजलक्ष्मी सोसायटी से कर्ज लिया. इस कर्ज के लिए जमानतदार योगेश राधेश्याम गुप्ता और किशोर मनोहर ढोले थे. इस प्रकरण में राजलक्ष्मी सोसायटी ने कर्जदार और जमानतदार के खिलाफ आरबी ट्रेटर के माध्यम से एकतरफा अवॉर्ड पारित किया. 6 लाख 32 हजार 747 रुपए और उस पर 17 प्रतिशत ब्याज जो दिसंबर 2018 से वसूल पात्र दिखाया. पश्चात जमानतदार के खिलाफ भी वसूली प्रकरण दाखिल किया. इसके विरोध में गजानन शिरभाते ने जिला व सत्र न्यायालय में याचिका दायर की. न्यायालय में शिरभाते की तरफ से एड. जीतेंद्र बारडकर तथा जमानतदार की तरफ से विपिन ठाकरे ने पक्ष रखा. राजलक्ष्मी सोसायटी की तरफ से आरबी ट्रेटर की नियुक्ति एकतरफा की गई. वसूली का प्रकरण रजिस्ट्रार के पास भी भेजा नहीं गया.
* धनादेश विड्रॉल नहीं हुआ
राजलक्ष्मी सोसायटी ने कर्जदार के खिलाफ धनादेश विड्रॉल न हुआ दाखिल किया. यह प्रकरण न्यायालय में प्रलंबित रहते सोसायटी के बिक्री अधिकारियों ने शिरभाते को नोटीस देकर संपत्ति जब्त व नीलामी से बिक्री कर बकाया वसूल करने की सूचना दी. इतना ही नहीं बल्कि यह नीलामी कार्रवाई की बुनादी और अखबारों में फोटो सहित विज्ञापन प्रकाशित करने की नोटीस भी दी. यह सभी मुद्दे न्यायालय के सामने रखे गये. प्रमुख जिला सत्र न्यायाधीश नागेश न्हावकर ने आरबी ट्रेटर द्वारा पारित की रिपोर्ट रद्द ठहराई. इस कारण कर्जदार को राहत मिली है.