औरंगाबाद शहर का नाम संभाजीनगर नहीं होने देंगे
राजस्व मंत्री एवं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात ने दी जानकारी
मुंबई/दि.१– महाविकास आघाड़ी सरकार के घटक दल कांग्रेस ने औरंगाबाद शहर का नाम संभाजीनगर करने के प्रयास का विरोध किया है.
उसने कहा है कि सरकार गठन के दौरान न्यूनतम साझा कार्यक्रम में इस तरह की कोई बात निश्चित नहीं की गई थी. एआईएमआईएम ने भी इन प्रयासों का विरोध किया है. पिछले कुछ दिनों से औरंगाबाद का नाम संभाजीनगर करने के लिए प्रशासकीय स्तर पर प्रयास शुरू हो गए हैं.
औरंगाबाद के विभागीय आयुक्त ने राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग के पास इस आशय का प्रस्ताव भेजा है. इस प्रस्ताव पर मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी प्राप्त करनी होगी. उसके बाद इसे केंद्र सरकार की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा. एमवीए न्यूनतम साझा मुद्दों पर चलेगी राज्य के राजस्व मंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बालासाहब थोरात ने कहा है कि हम इस तरह के प्रयासों का विरोध करेंगे. महाविकास आघाड़ी की सरकार विकास के मुद्दे पर गठित की गई है. सरकार को यह देखना चाहिए कि आम आदमी का जीवन और कैसे सुलभ हो सकता है. हमारे न्यूनतम साझा कार्यक्रम का भी यही उद्देश्य है. नाम बदलने को लेकर उसमें कोई चर्चा नहीं हुई थी. थोरात ने कहा शहर का नाम बदलकर कुछ हासिल नहीं होता है. कुछ चीजों का इतिहास बदला नहीं जा सकता. हम लोग आम आदमी को ध्यान में रखकर विकास की राह पर चल रहे हैं. यही बात संविधान की मूल सिद्धांतों के अनुरूप है. शहरों का नाम बदलना हमें मंजूर नहीं है.
शिवसेना की पुरानी मांग औरंगाबाद का नाम बदलने के प्रयास वर्ष 1995 में ही शुरू कर दिए गए थे. औरंगाबाद महानगरपालिका ने इस आशय का प्रस्ताव तत्कालीन शिवसेना-भाजपा की सरकार के पास भेजा था. तब संभाजीनगर के नाम की अधिसूचना भी जारी की गई थी. इस निर्णय के विरोध में मुंबई उच्च न्यायालय याचिका दाखिल की गई थी, लेकिन अदालत ने कहा था कि सरकार को नाम बदलने का अधिकार है. बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. जब यूपीए की सरकार सत्ता में आई तो नाम बदलने का प्रस्ताव वापस ले लिया गया. दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2014 से 2019 तक भाजपा और शिवसेना राज्य में सत्ता में थी, लेकिन उस समय शिवसेना ने इस बारे में कोई पहल नहीं की.