महाराष्ट्र

बालभारती की पुस्तकें रद्दी में

426 टन पुस्तकें बेचने निकाला टेंडर : आपूर्ति बंद का लगाया फलक

मुंबई/दि.18 – अमरावती- कक्षा पहली से बारहवीं तक के अभ्यासक्रम के साथ अन्य करीबन 426 टन पुस्तकें बालभारती रद्दी में निकालने वाली है. इसके लिए एक निविदा निकाले जाने के कारण वह विवाद में घिरी है.
कोरोना महामारी के चलते स्कूलें बंद रहने से ऑफलाईन पढ़ाई बंद थी. वहीं दूसरी ओर ग्रामीण भागों के लाखों विद्यार्थियों को गत वर्ष और इस बार भी पुस्तकें नहीं मिली. ऐसा रहते इतने बड़े पैमाने पर पुस्तकों की रद्दी निकालकर उसे बेचने की बात पर शिक्षक विधायक नागो गाणार सहित महाराष्ट्र राज्य शिक्षा क्रांति संगठना ने आक्षेप उठाया है. बालभारती की लाखों रुपए की पुस्तकें इस्तेमाल न किए जाने से पड़ी रहने की धक्कादायक बात सामने आयी है. परिणामस्वरुप यह पुस्तकें अब रद्दी में बेचने की नौबत बालभारती पर आने से आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है.
क़ोरोना काल में स्कूलें बंद रहने के चलते चालू शैक्षणिक वर्ष का नियोजन बालभारती से होना अपेक्षित था. लेकिन ऐसा न करते बाल भारती की ओर से स्कूलें बंद रहने पर भी पुस्तकें छापी गई है. बालभारती के मुंबई के गोरेगांव, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, लातूर, कोल्हापुर, अमरावती, नाशिक और पनवेल में ऐसे कुल 9 गोदामों में पुस्तकें पड़ी है. ये पुस्तकेें बेचने के लिए बालभारती ने निविदा निकाली है.यहां से राज्य की शालाओं को इन पुस्तकों की आपूर्ति की जाती है. इनमें से एक गोडाउन अमरावती के तलेगांव रोड पर है. यहां पर पुस्तकों की आपूर्ति बंद होने का फलक भी लगाया गया है. कोरोना के कारण पाठ्यपुस्तकों की आपूर्ति नहीं हो सकती थी तो फिर यह पुस्तकें छापी ही क्यों, ऐसा प्रश्न अब उपस्थित हो रहा है.जानकारी के अनुसार अब बालभारती पर करीबन 426 मेट्रीक टन पुस्तकें रद्दी में बेचने के लिए टेंडर निकालने की नौबत आयी है.

  • ठाणे, पालघर जिले की असंख्य शालाओं में पढ़ने वाले गरीब विद्यार्थियों को समय पर पुस्तकें नहीं मिलती. अब भी अनेक गांवों में वह पहुंची नहीं है. गत वर्ष भी ऐसा ही चित्र था. जिसके चलते पुस्तकें रद्दी में निकालने की नौबत आने से पहले गरीब विद्यार्थियों के, शिक्षकों के हाथों में पुस्तकें मिलेगी, ऐसी खबरदारी बरती जाये, जिससे एक भी पुस्तक रद्दी में डालने की नौबत नहीं आयेगी.
    – सुधीर बागस, अध्यक्ष, महाराष्ट्र राज्य शिक्षण क्रांति संगठना
  • अभ्यासक्रम बदलने से अनेक पुरानी पुस्तकें पड़ी है. वे विद्यार्थियों को नहीं दे सकते. इस कारण रद्दी में निकाली जा रही है. एक नियमित प्रक्रिया है. इसके लिए ही निविदा निकाली है. इससे पूर्व 2018 में ऐसी ही कुछ पुस्तकें रद्दी में निकाली गई थी. अब हमारे गोदाम में पुस्तकें रखने के लिए दिक्कत आने से इस्तेमाल न की जाने वाली 426 टन पुस्तकें रद्दी में निकाली जाएगी.
    – दिनकर पाटील, संचालक, बालभारती

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