महुआ फूल की खरीद-परिवहन से पाबंदी हटी, अब परमिट जरुरी नहीं
आदिवासी सशक्तिकरण के लिए गठित खारगे समिति की सिफारिशों पर फैसला
मुंबई/दि.5 – प्रदेश में सत्तारुढ महाविकास आघाडी सरकार ने मोह के फूल (महुआ) खरीदने, इकट्ठा करने और परिवहन पर लगी रोक हटा दी है. महुआ फूल जमा करने के लिए एमएफ-3, खरीदी करने के एमएफ-4 और परिवहन करने के लिए एमएफ-5 परमिट लेने संबंधी प्रावधान को रद्द कर दिया गया है. अब राज्य में महुआ फूल को खरीदने, इकट्ठा करने और परिवहन के लिए परमिट की आवश्यकता नहीं पडेगी.
गृह विभाग ने मंगलवार को इस संबंध में जारी किये शासनादेश के अनुसार महुआ फूल के माध्यम से आदिवासी सशक्तिकरण के लिए गठित खारगे समिति की सिफारिशों के अनुसार महुआ फूल पर फिलहाल महाराष्ट्र शराब बंदी अधिनियम-1949 के तहत पाबंदियों को शिथिल कर दिया गया है. महुआ फूल के दूसरे राज्यों से आयात पर पाबंदी कायम रहेगी. जबकि दूसरे राज्यों में निर्यात की नीति ख्ाुली रहेगी. निर्यात के लिए एमएफ-7 परमिट लेना आवश्यक है. महुआ फूल के भंडारण, बिक्री और व्यापार के लिए एफएफ-2 अनुज्ञप्ति आवश्यक होगी. निजी व्यक्ति के नाम पर ली गई एफएफ-2 अनुज्ञप्ति (लाईसेंस) के लिए वार्षिक कोटा की अधिकतम वार्षिक मर्यादा 500 क्विंटल रखी गई हेै. खारगे समिति की रिपोर्ट की दृष्टि से आदिवासी विकास विभाग को महुआ फूल के इस्तेमाल के लिए नई योजना बनाने पर एफएफ-2 लाईसेंस लेना आवश्यक होगा. आदिवासी सदस्यों वाली आदिवासी विकास संस्था, महिला बचत गट, सहकारी संस्था, ग्राम पंचायतों को नई एफएफ-2 अनुज्ञप्ति मिल सकेगी. लाईसेंस मंजूर करते समय महुआ फूल के गैरकानूनी इस्तेमाल नहीं होने के लिए बाँड लिखा जाएगा.
- इस फैसले से विदर्भ की जनता को काफी फायदा मिलेगा. महुआ फूल के प्रक्रिया उद्योग और रोजगार को गति मिल सकेगी. मैं साल 1999 से इसके लिए संघर्ष कर रहा था. विदर्भ में किसानों ने बडे पैमाने पर महुआ पेड लगाए हैैं. इससे आय का नया साधन तैयार हो सकेगा.
– नाना पटोले, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस - इस फैसले से विदर्भ के आदिवासी समुदाय को बडा आर्थिक लाभ होगा. महुआ से प्रोटीन मिलता है. इसका कई तरह इस्तेमाल किया जा सकता है. पाबंदी हटाने के लिए हमने आंदोलन भी किया था.
– किशोर तिवारी, विदर्भ जन आंदोलन समिति के अध्यक्ष व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री.