प्रदेश में बावनकुले मेरिट तो पटोले सप्लीमेंट्री पास
प्रमुख नेताओं की लडाई ने खींचा ध्यान ः कांग्रेस को विदर्भ में धोबी पछाड
नागपुर/दि.24– दो ताकतवर पक्षों के प्रदेशाध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री व विरोधी पार्टी नेता की लडाई की ओर विदर्भ का ही नहीं बल्कि राज्य की जनता का भी ध्यान लगा हुआ था. कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले जैसे सप्लीमेंट्री पास हुए हो. तो भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने 40 हजार के अंतर से विजश्री हासिल की. भाजपा और कांग्रेस इन दोनोें पार्टियों ने राज्य में राजनीति में विदर्भ को झुकता हुआ माप दिया है. विधानसभा चुनाव की परीक्षा में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष फेल होते दिखाई दिए. राजनीति में प्यादे हमेशा दिल्ली से चलाए जाने का आरोप विदर्भ पर लगाया जाता है. कांग्रेस के सूत्र दिल्ली से चलते है. तो भाजपा भी मुख्यालय से चलती है. जिसके कारण विदर्भ में हमेशा अवसर न रहने की चर्चा भी हमेशा चलती है. मगर कांग्रेस व भाजपा इन दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने विदर्भ को न्याय दिया. जून 2022 में पार्टी फूट की राजनीति होने के बाद महायुति की सत्ता आयी. साकोली के नाना पटोले को कांग्रेस ने प्रदेशाध्यक्ष बनाया. तो विरोधी पक्षनेता पद पर ब्रह्मपुरी के विजय वडेट्टीवार को बिठाया. भाजपा में संगठनात्मक बदलाव हुआ. कामठी के चंद्रशेखर बावनकुले की प्रदेशाध्यक्षपद पद पर नियुक्ति हुई. महायुति की सरकार में राज्य के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शपथ ली. यह चार ही पद दो अलग-अलग पार्टियों की रही फिर भी विदर्भ में एक साथ देखने को मिली. वह भी पूर्व विदर्भ में. इन चारों ही नेताओं पर पार्टी को सत्ता में बिठाने की जवाबदारी थी. नाना पटोले ने संगठन मजबूत करने में ख्याती है. तो चंद्रशेखर बावनकुले यह कार्यकर्ताओं को जोडने में प्रसिध्द है. दोनों चेहरे आक्रमक नेता के रुप में पहचाने जाते है. 1999 से से नाना पटोले विधायक है. 2014 के चुनाव में पटोले भाजपा के सांसद रहे. उन्होंने किसानों की समस्या को लेकर भाजपा से मुंह मोडा और बाद में विधानसभा अध्यक्ष बने. चंद्रशेखर बावनकुले 2004 से विधायक है. 2019 में उम्मीदवारी नहीं मिली. मगर उसके बाद स्थानीय स्वराज्य संस्था के विधायक बने. दोनों नेता आंदोलन से आगे बढे यह खास है. 2024 की विधानसभा चुनाव में पार्टी को राज्य में सफलता दिलाने के लिए जवाबदारी इन दोनों ही नेताओं पर थी. कांग्रेस के नाना पटोले यह चुनाव में फेल हो गए. उनके नेतृत्व कांग्रेस में कभी ऐसा कभी नहीं होता, ऐसी हार मिली है. राज्य में केवल 16 स्थान मिले.
साकोली निर्वाचन क्षेत्र में नये उम्मीदवार से खुद की विधायकी बचाते-बचाते नाना पटोले को पसीने छूट गए. तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने पार्टी क 130 स्थानों पर जीत दिलाई. राज्य में पार्टी की सत्ता लायी. तो उनके कामठी निर्वाचन क्षेत्र में 40 हजार 946 मतों के फर्क से चुनकर आए. नाना पटोले के नेतृत्व में पार्टी जमीनदोज हो गई. तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बावनकुले के नेतृत्व में पार्टी ने जोरदार प्रदर्शन किया.
कांग्रेस विरोधी पक्षनेताओं की कार्यप्रणाली
राज्य के विरोधी पक्षनेता विजय वडेट्टीवार की कार्यप्रणाली लगभग औसत प्रदर्शन इस चुनाव में रही. मुख्यमंत्री पद के तोड का पद विरोधी पक्ष नेता का पद होता है. यह पद उन्हें दिया गया. मगर पार्टी की जगह जीतने के लिए वडेट्टीवार की कार्यप्रणाली औसत रही. वे खुद अपने निर्वाचन क्षेत्र में 13 हजार 971 के अंतर से चुन कर आए. तो उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने पार्टी को सत्ता दिलाने के लिए हमेशा की तरह विजयश्री खीच कर लायी.