अमरावतीमहाराष्ट्र

मचान के नीचे रातभर रहा भालू का डेरा, नींद हुई गायब

पारस से आयी रिदम चांडक ने सुनाया अपना अनुभव

अमरावती/दि.27– बुद्धपुर्णिमा की चांदणी रात के दौरान जंगल के रोमांचक अनुभव को महसूस करने का अनुभव इस बार भी उपलब्ध कराया गया था. जिसके तहत विगत 23 मई को निसर्ग अनुभव उपक्रम में सहभागी होने हेतु अकोला जिले के पारस से अपने परिवार सहित सेमाडोह पहुंची. रिदम चांडक ने करीब 20 मिनट तक अपनी मचान के ठीक नीचे भालूओ के डेरे को देखने का रोमांचक अनुभव लिया. जिसके चलते उनकी आंखों से नींद उड गई.

मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत 13 मई को निसर्ग अनुभव उपक्रम चलाया गया. जिसके तहत मचान बुकिंग की सुविधा वेबसाइट पर उपलब्ध थी. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत 128 मचानों से बुद्धपूर्णिमा की चमकती चांदणीवाली रात में निसर्ग सौंदर्य के साथ ही विविध प्राणियों को देखने और उनकी गिनती करने का अवसर उपलब्ध कराया गया था. परंतु इस बार आसमान पर बादल छाये रहने के चलते कई वन्य प्रेमियों को निराशा का सामना करना पडा है.

इस बार बुद्धपूर्णिमा की रात होने वाली वन्यजीव गणना में पारस निवासी चांडक परिवार भी शामिल हुआ था. जिनमें रिदम व पूनम चांडक नामक दो बहनों का समावेश था. जिन्हें सेमाडोह स्थित संकुल से 23 मई की दोपहर 4 बजे के आसपास अन्य वन व प्राणी प्रेमियों के साथ अलग-अलग मचानों पर भेजा गया. जहां से वे गाईड की अनुमति के बिना नीचे नहीं उतर सकते थे. रात करीब सवा 11 बजे के आसपास मचान के नीचे काफी जोर की आवाज आयी. तो पहली बार मचान पर रहने का अनुभव ले रही रिदम ने अपनी मां को जगाया. इस समय गाईड ने बताया कि, दो भालू झगड रहे है. इसके बाद रात करीब पौने 2 बजे के आसपास एक बडा भालू आया. जिसने उसी मचान के नीचे अपना ठिया जमा लिया. इस समय मचान पर मौजूद सभी लोग यह सोचकर डर गये कि, यदि वह भालू उपर मचान तक चढकर आ गया, तो मचान पर मौजूद कोई भी व्यक्ति अगले दिन का सूरज नहीं देख सकेगा. परंतु कुछ देर बाद वह भालू वहां से चला गया. जिसके बाद सभी ने राहत की सांस ली.

रिदम चांडक सहित उनकी बहन पूनम चांडक ने बताया कि, भले ही इस समय उन्हें बाघ दिखाई नहीं दिया, लेकिन निसर्ग अनुभव काफी शानदार रहा और वन्य प्राणियों से काफी कुछ सीखने भी मिला.

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