सोमवार को विधानसभा में ओबीसी आरक्षण पर लाया जायेगा बिल
डेप्युटी सीएम अजीत पवार की घोषणा
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* मध्यप्रदेश के फार्म्यूले पर भी होगा विचार
मुंबई/दि.4– ओबीसी आरक्षण का मसला हल हो, इस हेतु आगामी सोमवार 7 मार्च को विधानसभा में विधेयक पेश किया जायेगा. वहीं आज शाम राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक होने जा रही है. जिसमें इस विधेयक को मंजूर करते हुए उसे मंजुरी हेतु सोमवार को विधानसभा में रखा जायेगा. साथ ही इस विधेयक में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर तैयार किये गये फार्म्यूले का भी विचार किया जायेगा. इस आशय की घोषणा राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार द्वारा आज विधानसभा में की गई. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, ओबीसी आरक्षण को लेकर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह राजनीति करने का विषय नहीं है. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि, महाराष्ट्र सरकार पर इस विषय को लेकर किसी का भी कोई दबाव नहीं है.
ऐसे में अब सभी का ध्यान इस ओर लगा हुआ है कि, विधेयक लाये जाने के बाद ओबीसी आरक्षण का मसला हल होता है या नहीं.
इस विषय को लेकर विधानसभा में अपने विचार व्यक्त करते हुए डेप्युटी सीएम अजीत पवार ने कहा कि, डेटा संकलित के लिए कुछ नियम व पध्दति तय है. जिसके चलते इस काम का जिम्मा पिछडावर्गीय आयोग को दिया गया. साथ ही काम करने हेतु निधी भी दी गई. सरकार द्वारा इस मामले में कोई लापरवाही नहीं की गई. बल्कि सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने हेतु अच्छे वकील भी नियुक्त किये गये. इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने पिछडावर्गीय आयोग की रिपोर्ट को नकार दिया है. ऐसे में अब इस विषय पर चर्चा व विचार-विमर्श करने हेतु आज शाम को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक ली जायेगी. जिसमें एक नया विधेयक लाया जायेगा. इसमें यह देखा जायेगा कि, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को लेकर क्या फार्म्यूला अपनाया गया है. अजीत पवार ने यह भी कहा कि चुनाव कब व कैसे करवाये जाये, यह सरकार के नहीं, बल्कि राज्य निर्वाचन आयोग के हाथ में है. किंतु मध्यप्रदेश सरकार ने प्रभाग रचना व चुनाव की तैयारी करने का अधिकार अपने पास रखा है. इसका क्या फायदा हुआ है, इसे भी देखा जायेगा. आज शाम कैबिनेट की मंजुरी मिलने के बाद इस विधेयक को आगामी सोमवार को विधानसभा में रखा जायेगा. उस समय सत्ता पक्ष के साथ ही विपक्ष ने भी अपनी सहमति देनी चाहिए, ताकि यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो सके.
* ओबीसी आरक्षण रद्द होने के लिए फडणवीस जिम्मेदार
– मंत्री छगन भुजबल ने लगाया आरोप
वहीं दूसरी ओर राज्य की महाविकास आघाडी सरकार में मंत्री रहनेवाले छगन भुजबल ने विधानसभा में राज्य सरकार की भूमिका विषद करते हुए कहा कि, ओबीसी आरक्षण को लेकर वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कुछ भी नहीं किया. जिसकी वजह से ओबीसी समाज का राजनीतिक आरक्षण रद्द हुआ है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के अधिकार को खारिज नहीं किया, बल्कि यह कहा कि, राज्य सरकार द्वारा दिये गये डेटा की पडताल नहीं की जा सकी. हालांकि राज्य सरकार ने कोर्ट के निर्देश पर 15 दिन के भीतर सभी बातों की पूर्ति की थी. जिसमें से कुछ बातों को लेकर अब भी कोर्ट द्वारा आपत्ति जतायी गई है. ऐसे में सरकार द्वारा जल्द ही इन त्रृटियों को भी दूर कर लिया जायेगा. जिसमें विपक्ष को भी सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा और देश को ओबीसी आरक्षण के मामले में अपनी एकजूटता दिखानी होगी.