महाराष्ट्र

सरकार में भागीदारी चाहते है भाजपा के सहयोगी दल

रामदास आठवले व जानकर ने की फडणवीस से मुलाकात

मुंबई/ दि. 9– राज्य मेें सरकार बदलने के साथ ही भाजपा के सहयोगी दल के प्रमुख अब मंत्री पद पर नजर गढाये हुए है. सत्तारूढ भाजपा के सहयोगी दल राज्य की शिंदे सरकार में भागीदारी चाहते है. राष्ट्रीय समाज पार्टी (रासपा) के विधान परिषद सदस्य महादेव जानकर और आरपीआई अध्यक्ष रामदास आठवले ने उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से मुलाकात की ओर मंत्री पद की मांग की.
शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए रासपा के महादेव जानकर कहा कि रासपा ने शिंदे गुट और भाजपा के गठजोड वाली सरकार को समर्थन दिया है. हमें शिंदे मंत्रिमंडल में मौका मिलना चाहिए. जानकर ने कहा कि उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने शिंदे सरकार को समर्थन देने के बारे में मुझसे बात की थी. उसके पश्चात रासपा के एकमेव विधायक ने विश्वास मत के दौरान शिंदे सरकार के पक्ष में वोट दिया था. हमें उम्मीद है कि मंत्रिमंडल में रासपा को प्रतिनिधित्व देने के लिए उचित फैसला होगा. धनगर समाज से आनेवाले जानकर का विधान परिषद का कार्यकाल 27 जुलाई 2024 को खत्म होगा. इसके पहले पूर्व की फडणवीस सरकार में महादेव जानकर पशुपालन मंत्री थे.
* मंत्रीपद और महामंडल में चाहिए स्थान
आरपीआई अध्यक्ष तथा केन्द्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले ने राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस से मुलाकात कर उनसे आरपीआई को सत्ता में भागीदारी देने की मांग की है. आरपीआई के एक पदाधिकारी ने बताया कि आठवले ने फडणवीस से विधान परिषद ेमें एक सीट, एक कैबिनेट मंत्री पद और महामंडलो में प्रतिनिधित्व देने की मांग की है. हमें उम्मीद है कि फडणवीस मंत्रीमंडल में आरपीआई को स्थान देंगे. सत्तारूढ शिंदे गुट के पास निर्दलियों को मिलाकर 50 विधायको का समर्थन है. जबकि भाजपा के पास निर्दलियों को मिलाकर 115 विधायक है. शिंदे गुट और भाजपा के विधायको में मंत्री पद के लिए खींचतान शुरू है, ऐसी स्थिति में भाजपा के सहयोगी दलों को मंत्रिमंडल में स्थान देना पार्टी के लिए चुनौती होगी.
* चार छोटे दलों के साथ भाजपा ने किया था गठबंधन
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चार छोटे दल क्रमश: रासपा, आरपीआई, शिवसंग्राम और रयत क्रांति संगठना के साथ गठबंधन किया था. भाजपा के चारों सहयोगी दलों में से फिलहाल दोनों सदनों में केवल रासपा के सदस्य है. रयत क्रांति संगठन के अध्यक्ष सदाभाउ खोत और शिव संग्राम के अध्यक्ष विनायक मेटे के विधान परिषद का कार्यकाल बीते 7 जुलाई को खत्म हो गया है. मेटे और खोत फिलहाल विधानमंडल के दोनों सदनों में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं है. किंतु विधान परिषद में राज्यपाल के कोटे की 12 सीटें रिक्त है. इसलिए दोनों की उम्मीदें बरकरार है. खोत ने कहा कि मैंने उपमुख्यमंत्री फडणवीस से मंत्री पद की मांग नहीं की है. मैंने महाविकास आघाडी सरकार के दौरान किसानों के मुद्दे पर आक्रमक होकर लडाई लडी है. फडणवीस जो फैसला करेंगे वह मुझे मंजूर होगा. खोत ने कहा कि हम चाहते थे कि फडणवीस मुख्यमंत्री बने लेकिन वे मुख्यमंत्री नहीं बन सके है. मगर हम लोग उन्हें साल 2024 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.

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