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छत्रपति को निर्दलीय लडाने की भाजपाई नीति सफल!

छठवीं सीट के लिए अंतिम समय पर संभाजी राजे को दिया जायेगा समर्थन

* शिवसेना को राज्यसभा में दूसरी सीट मिलना हुआ मुश्किल
मुंबई/दि.23- स्वराज्य पार्टी के नेता छत्रपति संभाजीराजे द्वारा शिवसेना प्रत्याशी के तौर राज्यसभा का चुनाव नहीं लडा जायेगा, यह अब पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है. ऐसे में संभाजीराजे को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ही मैदान में उतारने हेतु अपनायी जा रही भाजपा की नीति पूरी तरह से सफल होने की बात कही जा रही है. जिसके लिए भाजपा ने योेजना बनाई है कि, संभाजी राजे को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारा जाये और उन्हें ऐन समय पर समर्थन देते हुए शिवसेना सहित कांग्रेस व राष्ट्रवादी कांग्रेस की मुश्किले बढाई जाये. इसके लिए भाजपा द्वारा निर्दलियों के शेष रहनेवाले वोटों को अपनी ओर करने का प्रयास किया जायेगा. यदि ऐसा होता है, तो यह राज्य की महाविकास आघाडी सरकार के लिए काफी बडा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि अपक्षों का साथ मिल जाने पर भाजपा द्वारा राज्य की महाविकास आघाडी सरकार को अस्थिर करने का भी प्रयास किया जा सकता है. ऐसे में अभी संभाजीराजे छत्रपति अंतिम समय तक मैदान में बने रहते है, तो उनकी वजह से शिवसेना के साथ-साथ महाविकास आघाडी के मित्रदलों के लिए भी काफी मुश्किलें पैदा हो सकती है.
बता दें कि, संभाजीराजे छत्रपति इससे पहले राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त सदस्य थे और राज्यसभा में अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्होंने स्वराज्य पार्टी की स्थापना की. साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा का चुनाव लडने की घोषणा भी की. इसी दौरान राज्य के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने सबसे पहले संभाजीराजे से भेंट की. महाराष्ट्र के कोटे में रिक्त हुई छठवीं सीट को चुनकर लाने हेतु आवश्यक वोट शिवसेना व महाविकास आघाडी के पास रहने के बाद भी संभाजीराजे ने पूर्व सीएम देवेेंद्र फडणवीस से मुलाकात की. जिसे लेकर आश्चर्य व्यक्त किया गया. वहीं इसके बाद संभाजीराजे ने सीएम उध्दव ठाकरे से भी मुलाकात करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उन्हें समर्थन देने का आवाहन किया. इस समय शिवसेना ने कुछ शर्तों के आधार पर संभाजीराजे को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाये जाने की पेशकश भी सामने रखी. किंतु संभाजीराजे ने इन सभी शर्तों और शिवसेना के प्रस्ताव को नकारते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ही राज्यसभा का चुनाव लडने का निर्णय लिया.
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक संभाजीराजे ने काफी विचारपूर्वक निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लडने का निर्णय लिया है. जिसके तहत उन्होंने महाविकास आघाडी व भाजपा के वोट प्राप्त करते हुए राज्यसभा में जाने का समीकरण तय किया था. जिसके तहत उन्होंने गणित लगाया था कि, चूंकि वे छत्रपति घरानेे से वास्ता रखते है और उनकी मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे के साथ मित्रता भी है. ऐसे में उनके लिए राज्यसभा की राह आसान होगी, परंतु शिवसेना द्वारा पार्टी प्रवेश की शर्त रखे जाने के चलते छत्रपति संभाजीराजे के रास्ते में मुश्किलें पैदा हो गई. परंतू शिवसेना का यह निर्णय भाजपा के लिए काफी फायदेमंद रहा. यदि शिवसेना द्वारा छठवीं सीट के लिए अपना दूसरा उम्मीदवार मैदान में उतारा जाता है, तो ऐन समय पर भाजपा द्वारा संभाजीराजे की दावेदारी को अपना समर्थन दिया जायेगा. ऐसे में छठवीं सीट के लिए काटे की टक्कर हो सकती है. हालांकि इसमें विधायकों की खरीद-फरोख्त भी बडे पैमाने पर होने का अनुमान है और यदि आघाडी में शामिल रहनेवाले विधायकों द्वारा ऐन समय पर पाला बदला जाता है, तो इससे सरकार के अस्थिर रहने का संदेश निकलेगा. वहीं यदि आघाडी के विधायक नहीं फूटते है और यदि संभाजीराजे पराजीत होते है, तो शिवसेना की वजह से छत्रपति घराने के व्यक्ति को पराजय का सामना करना पडा, ऐसा संदेश पूरे महाराष्ट्र में जायेगा. जिसके बाद आगे चलकर होनेवाले प्रत्येक चुनाव में भाजपा द्वारा इसे महाराष्ट्र की अस्मिता और छत्रपति परिवार की प्रतिष्ठा के मुद्दे के तौर पर उछाला जायेगा. जिससे शिवसेना की मुश्किलें बढेगी. साथ ही इस समीकरण की वजह से शिवसेना के लिए दूसरी सीट प्राप्त करना भी काफी मुश्किल हो जायेगा.

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