महाराष्ट्र

कोरोना से लड़ने के लिए बीएमसी ने खर्च कर डाले 2000 करोड़ रुपए

यानी हर महीने 200 करोड़ से भी ज्यादा

मुंबई/दि. 23 – कोरोना की दूसरी लहर पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है. लेकिन इसी से जुड़ी एक और खबर जानना भी बेहद ज़रूरी है. क्या आप जानते हैं कि इस बेहद जरूरी और अच्छे काम के लिए कितना खर्च हुआ है? मार्च 2020 से जुलाई 2021 के बीच कोरोना संक्रमण रोकने के लिए मुंबई महानगरपालिका ने करीब 2000 करोड़ रुपए खर्च कर डाले हैं. ऐसे में अब कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका जताई जा रही है. यानी यह खर्च अभी बढ़ता ही जाएगा. फिलहाल तो हर महीने इस काम के लिए 200 करोड़ रुपए से भी अधिक खर्च किए जा रहे हैं.
कोरोना की पहली लहर मार्च 2020 में आई. बीएमसी ने 14 जंबो कोविड सेंटर और कोरोना केयर सेंटर तैयार करवाए. इनके अलावा कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारियों की भर्ती, चिकित्सा संबंधी उपकरणों की खरीद, अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े कर्माचारियों से संबंधित होटलों का खर्च, कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में खाने-पीेने के सामानों की सप्लाई जैसे कामों में महापालिका ने 1600 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. इसके अलावा मास्क खरीदने, ऑक्सीजन प्लांट तैयार करने, दवाइयों की खरीद वगैरह को मिलाकर महापालिका ने 2000 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.

मार्च 2020 से मुंबई में कोरोना संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ. ऐसे में अब तक आकस्मिक निधि से 1632.64 करोड़ रुपए खर्च किए गए. बाकी 400 करोड़ रुपए खर्च करने के लिए मार्च 2021 में मंजूरी ली गई. पालिका प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि हर महीने कोविड नियंत्रण के लिए 200 करोड़ रुपए की जरूरत है. जम्बो कोविड सेंटर, कोरोना केयर सेंटर अब तक तैयार हो चुके हैं. अब सिर्फ़ इनकी देखभाल और रखरखाव की ज़रूरत है. इसलिए अब कोरोना खर्चे में बढ़ोत्तरी की संभावना नहीं है. ऐसा पालिका अधिकारियों का कहना है.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मुंबई में ऑक्सीजन की कमी का संकट सामने आया था. इसके बाद बीएमसी ने खुद ऑक्सीजन बनाने का फैसला किया है. महापालिका कुल 12 अस्पतालों में ऑक्सीजन बनाने के प्लांट तैयार  करवा रही है. इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडरों की खरीद की जा रही है. इन सबमें कुल 400 करोड़ रुपए खर्च होंगे. बीएमसी के बजट में स्वास्थ्य विभाग के लिए करीब 4 हजार 728 करोड़ रुपयों का नियोजन किया गया है.

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