* राज्य के चार सेंट्रल जेलों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोषी अपीलकर्ता हुए पेश
मुंबई/दि.1-बॉम्बे हाई कोर्ट ने 7/11 के मुंबई लोकल ट्रेन में सीरियल विस्फोट मामले में दोषियों की अपीलों पर साढे छह महीने की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. शुक्रवार को जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश हुए दोषी नावेद हुसैन ने अदालत से कहा, विस्फोट में निर्दोष लोग मारे गए, लेकिन निर्दोषों को फांसी नहीं होनी चाहिए.
न्यायमूर्ति अनिल किलोर और श्याम चांडक की पीठ ने 12 दोषियों की अपीलों पर फैसले को सुरक्षित रखने के दौरान कहा, अगर कोई कुछ कहना चाहता है, तो हम उसे दो मिनट के लिए ऐसा करने की अनुमति दे सकते हैं. दोषी पुणे की येरवडा, अमरावती, नाशिक और नागपुर की सेंट्रल जेलों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए थे. नागपुर सेंट्रल जेल में बंद दोषी नावेद हुसैन ने कहा, उसके खिलाफ मामला झूठा है. वह निर्दोष है और इस मामले में शामिल नहीं है. गिरफ्तारी से पहले शायद एक को छोडकर वह अन्य लोगों को जानता भी नहीं था. इसमें उसकी कोई भूमिका नहीं है. वह पिछले 19 सालो जेल में बंद है. ट्रेन विस्फोट में निर्दोष लोगों जान चली गई, लेकिन प्रतिशोध का मतलब नहीं होना चाहिए कि निर्दोष लोगों को फांसी पर लटका दिया जाए.
* हुसैन ट्रेन में बम रखने वाला आरोपी
हुसेन ट्रेन में बम रखने वालों में से एक था और उसे ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है. हुसैन का इकबालिया बयान अभियोजन पक्ष के मामले का हिस्सा था. सभी 12 आरोपियों की ओर से पेश हुर वकील युग मोहित चौधरी और पायोशी रॉय ने दलील दी कि इकबालिया बयान अस्वीकार्य है और इसमें यातना का इस्तेमाल किया गया है. 11 जुलाई 2006 को मुंबई के लोकल ट्रेनों में सात स्थानों पर 11 मिनट के अंतराल पर हुए बम विस्फोट में 189 लोग मारे गए थे और 827 यात्री घायल हो गए थे. पुलिस ने 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया था और 15 अन्य को वांटेड घोषित किया. ट्रायल कोर्ट ने 2015 में 2 लोगों को दोषी ठहराया था. इसमें पांच को मौत की सजा सुनाई गई थी और सात को आजीवन कारावास की सजा दी गई.