महाराष्ट्र

दोनों राजे भाजपा से हल करवा ले मराठा आरक्षण का मसला

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने छत्रपति के वंशजों पर कसा तंज

पंढरपुर /दि.29 – सांसद पद के लिए छत्रपति संभाजी राजेछत्रपति उदयनराजे की नियुक्ती भाजपा द्वारा की गई है. ऐसे में दोनों छत्रपति राजा भाजपा की ही भाषा बोल रहे है. अत: उन्हें चाहिए कि, वे मराठा आरक्षण का मसला भाजपा के जरिये ही हल करवा ले. इस आशय का तंज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया व सांसद शरद पवार ने कसा है.
पंढरपुर के दौरे पर आये राकांपा प्रमुख शरद पवार ने यहां पर विधायक भारत भाल के निवास पर पहुंचकर मीडिया के साथ संवाद साधा. इस समय पालकमंत्री दत्तात्रय भरणे, विधायक भारत भालके व पुर्व विधायक दीपक आबा सालुंके उपस्थित थे. इस समय उपरोक्त प्रतिपादन के साथ ही सांसद शरद पवार ने कहा कि, इन दिनों केंद्रीय राज्यमंत्री रामदास आठवले काफी बयानबाजी कर रहे है. लेकिन आठवले के कहे को सदन के भीतर व सदन के बाहर बिल्कूल भी गंभीरता से नहीं लिया जाता. साथ ही आठवले की पार्टी से उनके अलावा एक भी सांसद या विधायक नहीं है. इसी तरह विगत दिनों नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस व शिवसेना सांसद संजय राउत के बीच हुई बैठक को लेकर पवार ने कहा कि, सांसद संजय राउत एक प्रतिष्ठित अखबार के संपादक भी है और उन्होंने सबसे पहले उनका (पवार) इंटरव्यू लिया था और उसी समय राउत ने स्पष्ट तौर पर बताया था कि, वे बहुत जल्द सीएम उध्दव ठाकरे व भाजपा नेताओं के साक्षात्कार लेनेवाले है. ऐसे में उस मुलाकात को लेकर कोई राजनीतिक अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए.
राज्य की महाविकास आघाडी सरकार अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी. यह विश्वास जताने के साथ ही राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि, देश के लोगों का ध्यान अन्य समस्याओं से हटाने के लिए केंद्र सरकार ने विभिन्न जांच एजेंसियों को सुशांतसिंह राजपूत मामले की जांच के काम में लगाया था. लेकिन यह एजेंसियां अब सुशांतसिंह राजपूत मामले को छोडकर किसी अन्य दिशा में अपनी जांच कर रहीं है. इस समय केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गये कृषि विधेयक का विरोध करते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि, कृषि विधेयक आने से पहले किसान अपने माल की बिक्री कही पर भी कर सकता था और उसे सरकारी संरक्षण भी हासिल होता था. लेकिन सरकारने अब किसानों को खुले बाजार के व्यापारियों के रहमो करम पर छोड दिया है. इसी वजह से कृषि विधेयक का हर स्तर पर विरोध हो रहा है.

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