बुलेट ट्रेन का सपना आगामी २०२८ तक पूरा होने की संभावना
अनुचित रेट की वजह से कैंसल हुए टेंडर, भूमि अधिग्रहण में हो रही देर
मुंबई/अहमदाबाद/दि.५– जापानी कंपनियों की कम हिस्सेदारी, नीलामी के लिए बोली लगाने वालों के अनुचित रेट की वजह से कैंसल हुए टेंडर, भूमि अधिग्रहण में हो रही देरी, अंडरग्राउंड प्रॉजेक्ट जैसी वजहों से भारत की पहले बुलेट ट्रेन (Bullet train) परियोजना कई मोर्चों पर अटक गई है. अब इस परियोजना में 5 साल तक की देरी हो सकती है. इसके साथ ही, बुलेट ट्रेन उन गिनी-चुनी परियोजनाओं की लिस्ट में शुमार होने वाली है जो मोदी सरकार की तरफ से तय किए गए वक्त में पूरी नहीं हो पाई.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रेलवे अब इस परियोजना के अक्टूबर 2028 में पूरा होने का अनुमान लगा रहा है जबकि पहले इसकी टाइमलाइन दिसंबर 2023 तय थी. सूत्रों के अनुसार, प्रॉजेक्ट पर काम कर रही जापानी टीम के साथ बातचीत के बाद संशोधित टाइमलाइन का अनुमान लगाया गया है. 508 किलोमीटर की मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का निर्माण जापान से 0.1 प्रतिशत की दर पर लिए गए 80 प्रतिशत लोन की रकम से हो रहा है. जापानी टेक्नॉलजी की मदद से पूरा सिस्टम तैयार होना है. भारत का इरादा, इस प्रॉजेक्ट के कुछ हिस्से को आजादी की 75वीं सालगिरह तक अगस्त 2022 तक तैयार कर देने का था.
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस प्रॉजेक्ट के सबसे महत्वपूर्ण सेक्शन माने जा रहे 21 किलोमीटर के अंडरग्राउंड स्ट्रेच के लिए जापान की तरफ से हिस्सेदारी नहीं मिली है. 21 किलोमीटर के इस अंडरग्राउंड स्ट्रेच में से 7 किलोमीटर का सेक्शन मुंबई के पास समुद्र से होकर गुजरेगा. अभी तक इसको लेकर डील फाइनल नहीं हो सकी है. 21 किलोमीटर के स्ट्रेच के निर्माण के लिए अडवांस बोरिंग मशीन और स्पेशल टेक्निकल मेथड की जरूरत पड़ेगी, जिससे महाराष्ट्र के नजदीक फ्लेमिंगो सैंक्चुअरी को बचाए रखना भी मकसद होगा. इसको पूरा करने के लिए 60 महीनों से अधिक के समय की जरूरत पड़ेगी. जापानी कंपनियों की तरफ से 11 टेंडर्स की बोली अनुमानित दर से 90 प्रतिशत अधिक की लगाई गई. सूत्रों के अनुसार भारत ने अधिक दर से इनकार कर दिया है.
जमीन अधिग्रहण की वजह से भी दिसंबर 2017 में शुरू होने के अनुमान वाला काम अभी लटका हुआ है. महाराष्ट्र में जरूरी 430 हेक्टेअर जमीन में से करीब 100 हेक्टेअर का अधिग्रहण भी हो चुका है. वहीं गुजरात में करीब एक हजार एकड़ के अधिग्रहण का काम इस साल के अंत तक पूरा हो जाने की उम्मीद है. नैशनल हाई स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अनुसार प्रॉजेक्ट के लिए 63 फीसदी जमीन का अधिग्रहण हो चुका है. अगला मसला ट्रेन की सप्लाई का भी है. जानकारी के अनुसार केवल कावासाकी और हिताची ही सप्लाई कर सकती हैं. दोनों कंपनियां जॉइंट तौर पर केवल एक ही बोली लगा सकती हैं. जिसको लेकर भारत की तरफ से असहमति है. कोरोना संक्रमण की वजह से दोनों देशों के बीच जॉइंट कमिटि की बैठक भी अटकी हुई है.