सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के कारण हो रही मंत्रिमंडल विस्तार में देरी
शिवसेना ने स्वीकार की मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की असली वजह
मुंबई/दि.6– प्रदेश में सत्ताधारी शिवसेना के बागी शिंदे गुट ने आखिरकार स्वीकार किया है कि सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के चलते राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार में देरी हो रही है. इससे स्पष्ट हो गया है कि मंत्रिमंडल का विस्तार सोमवार के बाद ही होगा. शुक्रवार को शिवसेना के शिंदे गुट के मुख्य प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च संस्था है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट का अनादर नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का उचित आदर रखना किसी भी सरकार की जिम्मेदारी होती है. शीर्ष अदालत का सम्मान बनाए रखने के लिए मंत्रिमंडल के विस्तार में एक-दो दिनों की देरी भी होगी तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
केसरकर ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की भूमिका है कि सर्वोच्च न्यायालय का उचित सम्मान रखा जाना चाहिए. केसरकर ने कहा कि मुझे विश्वास है कि सोमवार अथवा मंगलवार तक सुप्रीम कोर्ट अंतिम आदेश जारी करेगा. इसके बा अदालत में मामला चलता रहेगा. अंतिम आदेश आने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो जाएगा. केसरकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी आदेश में मंत्रिमंडल के विस्तार करने को लेकर पांबदी नहीं लगाई है. फिर भी सुप्रीम कोर्ट में जारी सुनवाई के दौरान ऐसी चीजें नहीं होनी चाहिए, जिससे कि कोई गलत संदेश जाए. केसरकर ने कहा कि मैंने शीर्ष नेताओं के कहने के आधार पर बयान दिया था कि मंत्रिमंडल का विस्तार 7 अगस्त तक हो जाएगा. उसके बाद हमारे शीर्ष नेता दिल्ली भी गए थे. भाजपा और शिंदे गुट की सरकार को 20 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है. मंत्रिमंडल में कुछ निर्दलीय विधायकों का भी समावेश होगा.
* विगत एक साल के भीततर दो बार भाजपा के साथ सरकार बनाने तैयार हुए थे उद्धव ठाकरे
शिवसेना के बागी शिंगे गुट के मुख्य प्रवक्ता दीपक केसरकर ने पूर्व मुख्यमंत्री तथा शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे को लेकर दो बड़े खुलासे किए हैं. केसरकर के दावे के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जून 2021 से जून 2022 के बीच अलग-अलग समय में दो बार भाजपा क सात गठबंधन कर सरकार बनाने के लिए तैयार हो गए थे. लेकिन विभिन्न कारणों के चलते दोनों बार बात नहीं बन सकी.
* राणे को केंद्र में मंत्री बनाने से बिगड़ी बात
शुक्रवार को केसरकर ने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जून 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद 15 दिनों के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले थे. लेकिन उद्धव ठाकरे जुलाई 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भाजपा की ओर से नारायण राणे को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने से नाराज हो गए. दूसरी ओर जुलाई 2021 में विधानसभा में भाजपा के 12 विधायकों को निलंबित कर दिया गया था. इसके चलते राज्य में शिवसेना और भाजपा के बीच गठजोड़ नहीं हो पाया. केसरकर के अनुसार उद्धव जून 2022 में शिवसेना विधायकों की बगावत के वक्त एकनाथ शिंदे को किनारे रखकर भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए तैयार हुए थे. लेकिन भाजपा और शिंदे गुट के विधायक इसके लिए तैयार नहीं हुए. इस कारण उद्धव के नेतृत्व वाली शिवसेना और भाजपा का गठबंधन नहीं हो सका. केसरकर ने कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या मामले के बाद भाजपा के नेता नारायण राणे ने शिवसेना के तत्कालीन पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे की बदनामी करना शुरु कर दिया था. मैं आदित्य की बदनामी से दुखी हो गया था. जिसके बाद मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संपर्क करने की कोशिश की.