बुजुर्गों को मरने के लिये नहीं छोड़ सकते
घर-घर जाकर कोरोना टीका लगाने के फैसले पर पुनर्विचार करें केंद्र सरकार - हाईकोर्ट
मुंंबई/दि.२३ – बॉम्बे हाइकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करें जिसके तहत कहा गया है कि घर-घर जाकर बुजुर्गों को कोरोना का टीका दे पाना संभव नहीं है.कोर्ट ने कहा- सरकार बुजुर्गों की पीड़ा को समझे. वह इस तरह से बुजुर्गों को मरने के लिये नहीं छोड़ सकती है.
बुधवार को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को सूचित किया था कि घर-घर जाकर बुजुर्गों को कोरोना का टीका दे पाना संभव नहीं है. हाईकोर्ट में 75 साल से ऊपरके बुुजुर्गों व दिव्यांगों को घर-घर जाकर कोरोना का टीका दिये जाने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है. यह याचिका पेशे से वकील धृति कपाड़िया व कुणाल तिवारी ने दायर की है. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के सामने याचिका सुनवाई के लिये आयी. इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि बीमारियों के चलते कई बुजुर्गों का घर से निकल पाना संभव नहीं है. इसलिए सरकार टीका लगाने के विषय को यह कहकर खत्म न करें कि घर-घर जाकर टीका लगाना संभव नहीं है. केंद्र सरकार इससे जुड़ी अपनी नीति पर पुनर्विचार करें. बुजुर्गों के लिए कुछ करें क्योंकि उन्हें यू ही मररने के लिये नहीं छोड़ा जा सकता. इसलिए हम चाहते हैं कि विशेषज्ञ सरकार की टीके से जुड़ी नीति पर विचार करें.