मुंबई/दि.14 – पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के आरोपपत्र दाखिल करने के 3 माह बाद राज्य मंत्रिमंडल ने कार्रवाई की अनुमति दे दी हैं. मंत्रिमंडल से अनुमति के बाद अब राज्यपाल को अनुमति के लिए भेजा गया हैं. भ्रष्टाचार प्रतिबंधक कानून की धारा 19 के तहत व्यक्ति विशेष को नियुक्त करने वाली संस्था या कंपनी की उसके विरुद्ध कार्रवाई की अनुमति लेना जरुरी होता हैं. इसमें मंत्री भी आ जाते हैं. मंत्री के विरुद्ध तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने गंभीर आरोप लगाये थे. कथित रुप से सबूत भी दिये थे. जिसके बाद सीबीआई ने जांच कर गत जून में आरोप पत्र विशेष न्यायालय में दाखिल किया हैं.
* क्या है मामला
सीबीआई के आरोप पत्र में अनिल देशमुख के साथ उनके निजी सचिव कुंदन शिंदे और संजीव पालांदे को भी नामजद किया गया था. भ्रष्टाचार से जुडे प्रकरण की जांच सीबीआई ने की. मुंबई पुलिस के सहायक निरीक्षक सचिन वाझे के आरोपों पर कार्रवाई हुई थी. आरोप पत्र में वाझे का नाम नहीं हैं. वह सरकारी गवाह बन गया हैं. पिछले वर्ष मार्च में राकांपा नेता देशमुख मुशिबत में फंस गये. जब अंबानी के बंगले एंटेलिया के पास विस्फोटको से भरा वाहन जब्त हुआ. इसके बाद व्यापारी मनसुख हीरन की हत्या हो गई. पुलिस आयुक्त ने उन्हें हटाने के बाद तत्कालीन मंत्री पर संगीन आरोप लगाये थे.