महाराष्ट्र

जातिगत महामंडलो को अब उपकंपनी का दर्जा

सरकार द्वारा ओबीसी, भटक्या व विमुक्त जातियों को जोडना शुरु

मुंबई /दि. 7– विधानसभा चुनाव के मुंहाने पर ओबीसी, भटक्या व विमुक्त जाति एवं जनजातियों हेतु स्वतंत्र महामंडल की घोषणा करनेवाली राज्य सरकार ने अब इन महामंडलों को उपकंपनियों का दर्जा देने का निर्णय लिया है. जिससे संबंधित शासनादेश हाल ही में घोषित किया गया. इस जरिए इन जाति समूह को नए सिरे से एकजूट करने का प्रयास दिखाई दे रहा है. साथ ही ऐसी उपकंपनियों के गैरसरकारी सदस्यों के तौर पर सरकार में शामिल दलों द्वारा अपने कायरकर्ताओं हेतु सरकारी सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है.
बता दें कि, गत वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्ववाली महायुति को महाराष्ट्र में अच्छे-खासे नुकसान का सामना करना पडा. मनोज जरांगे के मराठा आरक्षण आंदोलन तथा सोयाबीन व प्याज जैसे मुद्दे अपने खिलाफ चले जाने की बात ध्यान में आते ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद ओबीसी सहित अन्य छोटे जाति समूह को महायुति की ओर आकर्षित करने की व्यूहरचना बनाई. भाजपा ने जून माह से ही ओबीसी समाज के अलग-अलग नेताओं व पदाधिकारियों की बैठके लेनी शुरु कर दी थी. साथ ही दिल्ली से महाराष्ट्र की मुहिम पर भेजे गए दो बडे नेता भी इस काम में जुटे हुए है, ऐसी चर्चा चल रही थी. इस मुहिम के अंतर्गत छोटे-छोटे जाति समूह के लिए विशेष महामंडल की घोषणा सरकार द्वारा की गई.
इससे पहले महात्मा फुले, अण्णासाहेब पाटिल, श्यामराव पेजे, अण्णाभाऊ साठे व वसंतराव नाईक के नाम पर विशिष्ट समाज घटकों के कल्याण हेतु विविध महामंडलों की रचना सरकार द्वारा की गई थी. जिसके बाद ओबीसी संवर्ग की अलग-अलग जातियों हेतु कई छोटे-छोटे महामंडलों की स्थापना भी की गई. इन महामंडलों की घोषणा करने के साथ ही इसके अंतर्गत विशिष्ट समाज घटकों हेतु कई कल्याणकारी योजनाएं भी घोषित की गई. वहीं इस दौरान विधानसभा चुनाव में लाडली बहन योजना ने महायुति को जबरदस्त लाभ पहुंचाया और राज्य की महिलाओं ने महायुति के पक्ष में जमकर वोटिंग की. साथ ही साथ विभिन्न समाज घटकों के मतदाताओं ने भी एकमुश्त वोट डाले. इस जुडाव को भविष्य में भी कायम रखने के लिए भाजपा ने जबरदस्त व्यूहरचना तय की है. महामंडलों को उपकंपनी बनाने से संबंधित सरकारी निर्णय इसी व्यूहरचना का हिस्सा रहने की बात सामने आई है. ओबीसी तथा अन्य जाति समूहों के महामंडलों में छोटे जाति समूह के महत्व को कायम रखने हेतु चुनाव से पहले घोषित किए गए महामंडलों को उपकंपनियों का दर्जा दिया गया.

* विविध समाजो हेतु पहले से ही अलग-अलग महामंडल कार्यरत थे. जिनकी संख्या को अब बढाया जा रहा है. सरकार के जरिए विविध जातियों व समाजों का विकास हो तथा उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ मिले यह महामंडलों की स्थापना करने के पीछे मुख्य उद्देश्य है. इन महामंडलों में भाजपा के जरिए नहीं बल्कि सरकार के जरिए कामकाज चलेगा.
– रवींद्र चव्हाण
प्रदेश कार्याध्याक्ष, भाजपा.

* किन जातियों का समावेश
– सुतार, बारी, आगरी, सोनार, वाणी, तेली, बुनकर, गवली, गुजर, लेवा पाटीदार, लोहार, दर्जी (शिंपी), नागपंथिय व लोणारी ऐसे अलग-अलग समाजों हेतु तैयार किए गए आर्थिक विकास महामंडलों को मूर्त स्वरुप प्रदान किया गया.
– अन्य पिछडावर्गीय वित्त व विकास महामंडल तथा वसंतराव नाईक विमुक्त व भटक्या जनजाति आर्थिक विकास महामंडल अंतर्गत इन उपकंपनियों की स्थापना की गई है.
– इस संदर्भ में जारी किए गए अलग-अलग शासन निर्णयों में महामंडल की कार्यपद्धति, प्रशासकीय रचना व संचालक मंडल की रचना भी निश्चित की गई है.
– प्रत्येक उपकंपनी के संचालक मंडल पर तीन गैरसरकारी सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी. जिसके लिए सत्ताधारी दल के नेताओं व पदाधिकारियों को मौका मिलने की पूरी संभावना है.

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